मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में चुनाव चिन्ह (election symbol) को लेकर ठाकरे और शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने अपना अंतिम फैसला दे दिया है। जी दरअसल आयोग ने दोनों गुटों के पार्टी के नाम और तीर के निशान पर रोक लगा दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते दिनों दोनों ही गुटों से दावे को लेकर दस्तावेज मांगे थे और इसके बाद से ही ठाकरे गुट की ओर से इसके खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। सामने आने वाली मीडिया रिपोर्ट को देखा जाए तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े ने इस फैसले को अन्याय बताया है।
जी दरअसल इसी साल जून में शिवसेना 2 हिस्सों में बंट गई। इसमें एक तरफ उद्धव ठाकरे हैं तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे हैं। जी हाँ और दोनों ही गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। इसी के साथ ही दोनों पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर अपना दावा कर रहे थे, हालाँकि अब दोनों के पार्टी और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। जी हाँ और आपको हम जानकारी के लिए बता दें कि इस फैसले से एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। जी दरअसल चुनाव आयोग ने कहा है कि शिवसेना के दोनों गुटों ठाकरे और शिंदे को मुंबई में अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम या चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।
पहले तो कई लोगों को उम्मीद थी कि इस फैसले से शिवसेना का चुनाव चिह्न फ्रीज हो जाएगा और इस वजह से यह भविष्यवाणी की गई थी कि सिर्फ शिवसेना को ही बड़ा झटका लगेगा। हालांकि, जैसा कि चुनाव आयोग ने एक और कदम उठाया है। शिंदे गुट को भी इससे नुकसान हुआ है। जी हाँ, वहीं चुनाव आयोग के फैसले के बाद पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'यह दो शब्दों की पोस्ट है जो जीतेगी।' आप देख सकते हैं इस पोस्ट में शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के साथ एक फोटो है। उद्धव ठाकरे की बालासाहेब के साथ फोटो उनके आधिकारिक पोस्ट की गई है।
आपको बता दें कि नाम और चुनाव चिन्ह पर दोनों गुटों के दावों की पृष्ठभूमि में चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश जारी कर दोनों को सोमवार तक अपने-अपने दलों के लिए तीन नए नाम और चुनाव चिन्ह सुझाने को कहा है। जी हाँ और आयोग उन्हें दोनों गुटों द्वारा सुझाए गए नामों और प्रतीकों में से किसी एक का उपयोग करने की अनुमति देगा।
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