सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही, अस्पताल के बाहर महिला ने बच्चे को दिया जन्म

सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही, अस्पताल के बाहर महिला ने बच्चे को दिया जन्म
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झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सोरेन सरकार 'मैया सम्मान योजना' को लेकर खूब प्रचार-प्रसार कर रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है यहां दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान होना है। जिसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा। सोरेन सरकार 'मैया सम्मान योजना' महिलाओं को सशक्त करने वाली योजना बता रहे है। झारखंड की गरीब-पिछड़ी और आदिवासी महिलाएं कई नौतियों का सामना कर रही है।

झारखंड में महिलाओं को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल खस्ता है जिससे आम जनता परेशान है। रांची के सदर अस्पताल के बाहर एक गर्भवती महिला अपने बच्चे को जन्म देने अस्पताल पहुंचती है लेकिन उसे एडमिट नहीं किया। महिला ने सड़क पर ही बच्ची को जन्म दिया। महिला दर्द से तड़पती रही लेकिन कोई चिकित्सीय सुविधा नहीं दी गई।

महिला रांची के काठीटांड़ की रहनेवाली है। गर्भवती गुलशन खातून दर्द से कराहते हुए रांची सदर अस्पताल पहुंची। ड्यूटी पर एक महिला डॉक्टर ने उसका इलाज किया और डिलीवरी में कॉम्प्लिकेशन बताया जिसके बाद महिला को रिम्स में रेफर किया गया। परिजनों को रिम्स ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। महिला ने ऐसे में अस्पताल के बाहर ही बच्चे को जन्म दिया। यह घटना 11 अक्टूबर की है।

इस घटना ने सोरेन सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को लेकर खुलकर लिखा है। एक एक्स यूजर ने लिखा की कितनी लचर व्यवस्था है रांची सदर अस्पताल की, बुनियादी सुविधाओं का अभाव दूर हो जाए तो झारखंडवासियों को मैया सम्मान योजना जैसे लोलीपॉप योजना की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। झारखंड सरकार को महिलाओं के प्रति स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरूकता के लिए विशेष योजना लाना चाहिए ताकि माताओं बहनों को ऐसी असुविधा और घोर लापरवाह व्यस्था का सामना न करना पड़े।


आलोचना होने पर हेमंत सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। रांची डीसी ने एक जांच टीम बनाई है। यह टीम लापरवाही की जाँच करेगी और उसके बाद अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपेगी। महिला की हालत ठीक है। लेकिन उसे कुछ भी हो सकता था। हेमंत सरकार पर कई सवाल उठ रहे है। एक ओर सरकार मैया योजना के तहत महिलाओं के खाते में एक हजार रुपये डालती है और दूसरी ओर उनके शासन में महिलाओं की ऐसी हालत है। इसके साथ ही सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था और एंबुलेंस को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है। झारखंड में सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है। कई ऐसे मामले सामने आए है जहां मरीजों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सोरेन की सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का वादा किया था। लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं है। सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। साफ-सफाई को नजर अंदाज किया जा रहा है। मरीजों को उपचार का इंतजार करना पड़ता है। कई जगह मरीजों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण पुराने और खराब हालत में है। जिससे स्थानीय लोगों में निराशा का माहौल है। झारखंड की कुल आबादी लगभग 4.06 करोड़ है। लेकिन इसके मुकाबले सरकारी अस्पतालों की संख्या बेहद कम है। झारखंड में 23 जिला अस्पताल, 13 सब-डिविजलन अस्पताल, 90 सीएचसी, 330 पीएचसी, 3848 एचएससी और 6 मेडिकल कॉलेज है। जो काफी नहीं है। विपक्षी पार्टी भाजपा भी इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। झारखंड में सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जल्द ही आवश्यक सुधारों की दिशा में सरकार ने कदम नहीं उठाए तो कहीं ऐसा ना हो आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता उन्हें नजरअंदाज कर दे।

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