नई दिल्ली: राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज सोमवार (18 सितंबर) को कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत की नींव रखी। उन्होंने कहा कि नींव में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को कोई नहीं देख सकता। उन्होंने कहा कि नेहरू का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का मतलब व्यवस्था में महत्वपूर्ण कमियां हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का ध्यान ED और CBI के जरिये मजबूत विपक्ष को कमजोर करने पर है।
खड़गे ने संसद में कहा कि, 'नेहरू जी का मानना है कि एक मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का मतलब है कि सिस्टम में महत्वपूर्ण कमियां हैं। यदि कोई मजबूत विपक्ष नहीं है, तो यह सही नहीं है। अब, जब एक मजबूत विपक्ष है, तो ED और CBI के माध्यम से इसे कमजोर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि, 'उन्हें (अपनी पार्टी में) ले जाओ, उन्हें वॉशिंग मशीन में डाल दो और जब वे पूरी तरह साफ-सुथरे बाहर आ जाएं, तो उन्हें (अपनी पार्टी में) स्थायी कर दो। आप देख सकते हैं कि आज क्या हो रहा है। प्रधानमंत्री संसद में कभी-कभार ही आते हैं। वह इसे एक इवेंट बनाकर चले जाते हैं।' इसके साथ ही खड़गे ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ भी हल्के-फुल्के पल साझा किए। अपने भाषण के दौरान खड़गे ने सदस्यों से पूछा कि वह इतनी जल्दी कहां जा रहे हैं। इस पर सभापति ने कहा कि यह भी नियम के खिलाफ है।
नियम के संदर्भ पर खड़गे ने मजाकिया अंदाज में कहा कि सदन में कई नियम तोड़े जाते हैं, लेकिन चूंकि धनखड़ का 'बड़ा दिल' है, इसलिए वह सब संभाल लेते हैं। खड़गे ने कहा कि इसीलिए वह सभापति से आम आदमी पार्टी (AAP) नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा का निलंबन रद्द करने के लिए कह रहे हैं।
लोकसभा में क्या बोले अधीर रंजन:-
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पंडित नेहरू के योगदान को याद किया और उन्हें 'आधुनिक भारत का वास्तुकार' कहा। उन्होंने कहा कि नेहरू संसदीय गुणों का समर्थन करते थे और जब भी प्रधानमंत्री सदन में अपनी समय सीमा से अधिक हो जाते थे, तो स्पीकर घंटी बजाते थे। चौधरी ने कहा कि, 'आधुनिक भारत के वास्तुकार नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कई गुणों की मांग करता है, जिनमें क्षमता, काम के प्रति निश्चित समर्पण और साथ ही बड़े पैमाने पर आत्म अनुशासन और संयम शामिल है।'
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, 'हालाँकि उन्हें (पंडित नेहरू को) संसद में भारी बहुमत प्राप्त था, फिर भी वे विपक्ष की आवाज़ सुनने में अथक थे और सवालों का जवाब देते समय कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाते थे या टाल-मटोल नहीं करते थे। यहाँ तक कि जवाहरलाल नेहरू के लिए स्पीकर की घंटी तब बजती थी, जब वह संसद में भाषण देते समय अपनी समय सीमा से अधिक हो जाते थे। इससे पता चलता है कि कोई भी संसद के अपमान से परे नहीं है, यह भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में नेहरू का योगदान था।'
चंद्रयान-3 मिशन के जिक्र पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 1946 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में परमाणु अनुसंधान समिति का गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि, "वहां से हम आगे बढ़े और 1964 में ISRO का विकास किया। लेकिन आज हम ISRO को क्या कहेंगे, अगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नहीं तो क्या कहेंगे? यह भारत, इंडिया का मुद्दा कहां से उठाया गया है?' पुरानी इमारत को विदाई देते हुए अधीर रंजन ने कहा कि, 'आज इस (पुरानी) संसद भवन से बाहर निकलना हम सभी के लिए वास्तव में एक भावनात्मक क्षण है। हम सभी अपनी पुरानी इमारत को अलविदा कहने के लिए यहां मौजूद हैं।'
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