आख़िर सब जगह क्यों नही है नेकी की खूबसूरत दीवार

आख़िर सब जगह क्यों नही है नेकी की खूबसूरत दीवार
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नेकी कर दरिया में डाल आजकल यह कहावत खूब प्रचलित है लेकिन नेकी करना भी सबके बस की बात नही। आज के समय में इंसान नेकी कम करता है और दूसरों को नीचा दिखाने का काम अधिक। लेकिन अब भी कई लोग हैं जिनके मन में नेकी करने की एक ललक है और उसी के कारण आज कई शहरों में है नेकी की दीवार। इस दीवार को देखकर गर्व महसूस होता है कि आज भी कई लोग हैं जो उनके बारे में सोचते है जो जरूरतमंद है। इस दीवार पर लोग अपने पुराने कपड़े, पुराना कंबल, चादर,रज़ाई ओर अन्य भी सामान छोड़कर जाते हैं ताकि वह ज़रूरतमंद लोगों के काम आ जाए।

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कई लोगों ने किया सहयोग- दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो ज़रूरतमंद का ख़्याल कर उनकी मदद कर रहे हैं और नेकी की दीवार पर वह सब सामान रख रहे हैं जिनसे गरीब और जरूरतमंद लोगों को सहयोग मिल सकता है। ज़रूरतमंद लोगों को यहाँ से अपने तन को ढँकने के लिए कपड़े मिल जाते हैं। वही कुछ लोगों को ठंड से बचने के लिए कंबल, स्वेटर आदि सामान मिल जाते हैं। नेकी की दीवार पर जो लोग सहयोग कर रहे हैं उनको एक अलग ही मेडल दिया जाना चाहिए क्योंकि वह बुरी सोच नहीं रखते हैं बल्कि अपना सहयोग दे रहें हैं।

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हर जगह क्यों नही है नेकी की दीवार - अब तक नेकी की दीवार केवल भोपाल, हरियाणा, इंदौर, खाल खुर्द, छत्तीसगढ़ के कुछ शहरों में है। लेकिन यह दीवार अगर हर शहर में हो तो ग़रीबी को घटाने और निर्धन, लाचार और अनाथ लोगों की सेवा में सभी का योगदान होगा। बल्कि हम तो यह चाहते हैं कि हर शहर में कम से कम 4-5 नेकी की दीवार हो और यह अधिक वहां हों जहाँ जरूरतमंद लोग अधिक हो या जहाँ उनका बसेरा हो।

केवल दीवार ही नही जागरूकता भी ज़रूरी - केवल दीवार होने से ही ज़रूरत मंदो की ज़रूरत पूरी नही होगी बल्कि सभी को उसपर अपने पुराने कपड़े, अपने घर से निकले पुराने कंबल, चादर वैगेरह वहाँ रखने होंगे ताकि आप भी किसी की मुस्कराने की वजह बनो। इसी के साथ इसकी जागरूकता भी ज़रूरी है वरना दीवार तो होगी लेकिन वहाँ से कोई सामान नहीं ले जाएगा क्योंकि जिनके लिए सामान है उन्हें पता ही नहीं है। आज के युवाओं को इसके लिए उन ज़रूरत मंद लोगों को इस दीवार के बारे में बताना होगा, जो  उन्हें कहीं ग़रीबी की , लाचारी की, या अन्य बुरी अवस्था में मिलते हैं।

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असफल भी है - नेकी की दीवार कहीं-कहीं असफल भी है क्योंकि आज के समय में गरीब, भिखारी और अन्य ऐसे लोग हैं जो ख़ुद को गरीब दिखाने की कोशिश करते हैं वह केवल पैसों की भाषा जानते हैं। यह भी एक कारण है जिससे लोग कपड़े या अन्य सामान नहीं लेना चाहते हैं बल्कि वे केवल पैसे चाहते हैं जो कहीं ना कहीं अनुचित है। और कई ऐसे लोग भी हैं जो उन पैसों को शराब के नशे में उड़ा देते हैं और उन्हें नेकी की दीवार से नहीं केवल पैसे से मतलब होता है।

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एक कहावत यह भी है फल की चिंता न करें केवल अपना कर्म करें, हमारे कहने का मतलब है आपसे जितना हो सके उतना दूसरों की सहायता कीजिए ताकि आपकी वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।

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