काठमांडू : अब जब भारत और नेपाल के संबंध फिर सामान्य होते दिख रहे थे, तभी ओली सरकार ने एक बार फिर नक्शा विवाद छेड़कर तनाव को भड़का दिया है. दरअसल, केपी ओली सरकार ने मंगलवार को अपने देश के आपत्तिजनक नक्शे को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है. नेपाल ने अपने देश के एक और दो रुपयों के सिक्कों पर भी नए नक्शे को अंकित करने का निर्णय लिया है. जाहिर है कि नेपाल के इस प्रकार के कदमों से भारत-नेपाल के बीच द्विपक्षीय बातचीत होने की गुंजाइश कम होती चली जाएगी.
बता दें कि नेपाल उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना अधिकार जताताता है. मई महीने में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से होकर जाने वाले कैलाश मानसरोवर रोड लिंक का शुभारंभ किया था, तो नेपाल ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी. इसके बाद नेपाल ने इन तीनों इलाकों को अपने नए नक़्शे में शामिल करते हुए नए विवाद को जन्म दे दिया था. नेपाल ने नए नक्शे को मान्यता देने के लिए संविधान में भी संशोधन किया था.
नेपाल के शिक्षा मंत्रालय ने माध्यमिक शिक्षा की नई पुस्तक में संपूर्ण नेपाल का क्षेत्रफल बताया है. इसमें भी कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का इलाका दर्शाया गया है. पुस्तक में दावा किया गया है कि लिंपियाधुरा, लिपुलेख व कालापानी क्षेत्र में लगभग 542 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर भारत ने कब्जा कर रखा है और ये नेपाल का ही इलाका है.
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