काठमांडू: नेपाल के उच्च सदन यानी राष्ट्रीय सभा ने भी देश के नए नक्शे को हरी झंडी दिखा दी है जिसमें भारत के कुछ इलाकों को नेपाली भूभाग के हिस्से के रूप में दर्शाया गया है. नेपाल की राष्ट्रीय सभा ने आज तक़रीबन पूर्ण बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पास किया. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ नए नक्शे को नेपाल के राष्ट्र चिह्न में जगह दे दी जाएगी.
भारत से बात करने के प्रस्ताव को नजरअंदाज और अनसुना कर सत्ताधारी केपी शर्मा ओली सरकार ने इस बाबत प्रस्ताव को पहले प्रतिनिधि सभा और फिर राष्ट्रीय सभा में पास करवाया. राष्ट्रीय सभा के वोटिंग में इस प्रस्ताव के पक्ष में 57 वोट हासिल हुए. नए नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिंप्याधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया है, जबकि भारत नए नेपाली नक्शे को ठुकरा चुका है. उसका कहना है कि नेपाल सरकार के दावों में न तो ऐतिहासिक सबूत हैं और न ही उनका कोई तथ्यात्मक आधार.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, नेपाल की ओली सरकार अपने सियासी औजार की तरह इस नक्शे का इस्तेमाल कर रही है. लंबित सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत की ओर से दिए गए बातचीत के प्रस्ताव की अनदेखी कर संविधान संशोधन के पीछे सियासी लाभ की मंशा बताई जा रही है. हालांकि भारत अब भी अपने करीबी पड़ोसी नेपाल के साथ सहयोग और बातचीत के लिए तैयार है. बशर्ते इसके लिए उचित माहौल बनाया जाए. महत्वपूर्ण है कि भारत और नेपाल के बीच कालापानी और नरसाही सुस्ता का बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए बातचीत बीते दो दशकों से चल रही है.
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