यरूशलेम: इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को पुष्टि की है कि जो रिपोर्टें बताती हैं कि उन्होंने (नेतन्याहू ने) ओस्लो समझौते में बाधा डाली थी, वो सही थी। तेल अवीव में एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, नेतन्याहू ने ओस्लो समझौते में बाधा डालने और फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकने के आरोपों को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि, "आप और आपके पत्रकार मित्र ओस्लो समझौते पर ब्रेक लगाने और फ़िलिस्तीनी राज्य को रोकने के लिए लगभग तीस वर्षों से मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। यह सच है.'' समझौते की आलोचना के बावजूद ओस्लो समझौते से हटने में अपनी विफलता के बारे में सवालों का जवाब देते हुए, नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि समझौते उन्हें विरासत में मिले हैं। उन्होंने कहा कि, "फ़िलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को ट्यूनिस से लाने और इसे यहूदिया और सामरिया (वेस्ट बैंक) के मध्य में और गाजा में स्थापित करने का निर्णय, मेरे प्रधान मंत्री बनने से पहले लिया और लागू किया गया था। मैंने सोचा कि यह एक भयानक गलती थी और मैं अब भी इसका विरोध करता हूं.''
ओस्लो समझौते क्या हैं?
दो ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए - एक 1993 में वाशिंगटन डीसी में और दूसरा 1995 में मिस्र में। पहला ओस्लो समझौता, ओस्लो I, जिस पर 13 सितंबर, 1993 को हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें इजरायली और फिलिस्तीनी दोनों पक्षों ने अपनी पुरानी दुश्मनी समाप्त करने का वचन दिया था.
दूसरा ओस्लो समझौता, ओस्लो II, जिस पर सितंबर 1995 में हस्ताक्षर किया गया था, जिसमे फिलिस्तीनियों को स्वशासन देने की बात थी।
हालाँकि, ओस्लो समझौता आज तक अमल में नहीं आया।
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