कनाडा-पाकिस्तान से लेकर ब्रिटेन-हांगकांग तक फैला नेटवर्क, NIA ने किया बड़ी खालिस्तानी साजिश का भंडाफोड़

कनाडा-पाकिस्तान से लेकर ब्रिटेन-हांगकांग तक फैला नेटवर्क, NIA ने किया बड़ी खालिस्तानी साजिश का भंडाफोड़
Share:

अमृतसर: पंजाब पुलिस ने खालिस्तान आंदोलन को फिर से जीवित करने की साजिश का पर्दाफाश करते हुए बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) से जुड़े दो आतंकवादियों, हरविंदर रिंदा और हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया को गिरफ्तार कर लिया है। खुफिया जानकारी के आधार पर की गई इस कार्रवाई ने आतंकवाद से जुड़े कई मामलों को सुलझाने में मदद की, जिसमें अजनाला पुलिस स्टेशन पर हुए IED हमले का मामला भी शामिल है। यह हमला 23 नवंबर 2023 को हुआ था। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने दो हथगोले, एक पिस्तौल, गोला-बारूद और एक मोटरसाइकिल बरामद की। 

उल्लेखनीय है कि, गृह मंत्रालय ने 2023 में हरविंदर रिंदा को आतंकवादी घोषित किया था। मौजूदा जांच में खुलासा हुआ कि ये दोनों आतंकवादी एक विदेशी हैंडलर के निर्देश पर पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। हरविंदर रिंदा का नेटवर्क अत्यधिक संगठित और गहरा था। उसने न केवल विदेशी आकाओं के साथ तालमेल बिठाया, बल्कि पंजाब में कई आतंकी हमलों को भी अंजाम दिया। पुलिस अभी भी रिंदा और नाभा जेल ब्रेक मामले के आरोपी रमनजीत सिंह उर्फ रम्मी के बीच संबंधों की जांच कर रही है।

2016 में हुए नाभा जेल ब्रेक कांड में रम्मी की भूमिका प्रमुख थी। इस घटना में गैंगस्टरों ने पुलिसकर्मियों की पोशाक पहनकर जेल में घुसपैठ की और छह खतरनाक अपराधियों को छुड़ाया। इस ऑपरेशन ने खालिस्तानी आतंकवादियों को युवाओं को अपने नेटवर्क में भर्ती करने का एक उदाहरण प्रदान किया।

बब्बर खालसा इंटरनेशनल और सिख फॉर जस्टिस (SFJ) जैसे खालिस्तानी आतंकी संगठन एक समान उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं। BKI का काम जमीन पर आतंकी गतिविधियां करना है, जबकि SFJ वित्तीय मदद देता है और प्रोपेगेंडा फैलाने के साथ ही युवाओं को बरगलाने का काम करता है। रिंदा इन दोनों संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा था।

रिंदा के संबंध कनाडा, पाकिस्तान, ब्रिटेन और हांगकांग जैसे देशों में फैले हुए थे। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए भी काम करता था। 1990 के दशक में आईएसआई ने खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तैयार किया था, ताकि भारत में अस्थिरता फैलाकर कश्मीर पर कब्जा किया जा सके। 

जांच में सामने आई जानकारी के अनुसार, आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकवादियों और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को एक ही प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग दी। इन दोनों संगठनों की कार्यशैली समान है, हालांकि इनके संचालन क्षेत्र अलग-अलग हैं। खालिस्तानी आतंकवादी पंजाब और सिख युवाओं पर केंद्रित रहते हैं, जबकि लश्कर-ए-तैयबा जम्मू-कश्मीर और मुस्लिम युवाओं के बीच सक्रिय है।

खालिस्तानी आतंकवादी गैंगस्टरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हाल ही में गिरफ्तार सचिन तालिबान ने खुलासा किया कि वह कुख्यात गैंगस्टर गोल्डी बरार का सहयोगी है। गुरुग्राम में हुए बम धमाकों और चंडीगढ़ के गायक बादशाह के बार में विस्फोटों के पीछे BKI का ही हाथ था। जांच में यह भी सामने आया कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके सहयोगियों ने क्लब मालिकों से करोड़ों रुपये और व्यापार में हिस्सेदारी की मांग की थी। मांग पूरी न होने पर धमाके किए गए। यह मामला साबित करता है कि गैंगस्टर-आतंकवादी गठजोड़ कैसे काम करता है।

NIA का ऑपरेशन ध्वस्त:-

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकी गिरोहों के खिलाफ 'ऑपरेशन ध्वस्त' नाम से एक अभियान शुरू किया है। NIA ने पंजाब पुलिस के साथ मिलकर छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 324 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की। NIA ने खालिस्तानी आतंकवादी अर्श दल्ला, लॉरेंस बिश्नोई और लखबीर सिंह लांडा जैसे प्रमुख अपराधियों की पहचान की है। कनाडा में रहने वाला लांडा BKI का सक्रिय सदस्य है। वह मोहाली में स्टेट इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर आरपीजी हमले और तरनतारन के सरहाली पुलिस स्टेशन पर हमले में शामिल था।

जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि जेल में बंद अपराधी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ये अपराधी उद्योगपतियों, राजनीतिक नेताओं और खिलाड़ियों से फिरौती मांगते हैं। इस फिरौती से मिली रकम का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों और हथियार खरीदने में किया जाता है। NIA इस सिंडिकेट की फंडिंग और लॉजिस्टिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

इस पूरी कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि खालिस्तानी तत्व भारत में आतंक फैलाने के अपने प्रयासों में विफल रहे हैं। हालांकि, विदेशों में बसे इनके सहयोगी लगातार फंडिंग और प्रचार के जरिए इस आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब पुलिस और NIA की इस कार्रवाई ने अभी के लिए तो खालिस्तान समर्थकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। खालिस्तानी और आतंकी गठजोड़, विरोध प्रदर्शन, आंदोलन, थानों पर बम हमले, फर्जी धमकियां आदि के जरिए भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

अभी के लिए, यह गिरफ्तारी न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी सफलता है। हालांकि, इस खतरे से पूरी तरह निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतर्कता की आवश्यकता है।

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
- Sponsored Advert -