मंगलवार का दिन प्रभु हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है। इस दिन हनुमान जी का केवल नाम लेने मात्र से ही सभी संकट अपना मार्ग मोड़ लेते हैं, समस्याएं अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती हैं। हनुमान जी सर्वसमर्थ देवता हैं। यही वजह है कि हनुमान जी के साधक को जिंदगी में किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है। हनुमत कृपा से उसे सभी तरह की सिद्धि, लाभ तथा सुखों की प्राप्ति होती है। हनुमान जी का नाम लेने मात्र से भक्त में असीम शक्ति का संचार हो जाता है तथा उसके सभी बीमारी, शोक आदि दूर हो जाते हैं। मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना से जिंदगी में मंगल ही मंगल होता है, किन्तु हनुमान जी की पूजा के कुछ नियम भी होते हैं, जिनका पालन न करने पर पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है।
जानिए हनुमत साधना के 10 बड़े नियम:-
हनुमान जी साधना अथवा खास अनुष्ठान हमेशा प्रातः काल या सायंकाल या रात्रि को करें।
हनुमान की आराधना में हमेशा लाल रंग के फूलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
हनुमानजी के लिए दीपदान करने वाली बाती हमेशा लाल सूत (धागे) की होनी चाहिए।
हनुमान जी की पूजा का कोई भी उपाय अथवा अनुष्ठान मंगलवार के दिन से शुरू किया जाए तो अधिक अनुकूल है।
हनुमान भक्ति शुरू करने के लिये किसी खास मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, इसके लिए मंगलवार का दिन ही अपने आप में उत्तम है।
हनुमान की साधना में ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरुरी है, इसलिए जब तक हनुमत साधना करें तो स्त्री संसर्ग से दूर रहें तथा कामुक विचार अपने मन में न लाएं।
मंगलवार के दिन हनुमान जी की भक्ति करने वाले भक्त को मांस-मदिरा आदि से बिल्कुल दूर रहना चाहिए।
हनुमान की भक्ति में चरणामृत का विधान नहीं है, इसलिए भूलकर भी उनकी पूजा चरणामृत का इस्तेमाल न करें।
हनुमान जी की प्रतिमा को महिलाओं को नहीं छूना चाहिए। रजस्वला होने पर तो भूलकर भी ऐसा न करें।
हनुमान जी को जो भी प्रसाद चढ़ाएं, उसे शुद्ध घी में बेहद ही शुद्धता के साथ बनाएं। अगर संभव हो तो गाय के घी का इस्तेमाल करें।
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