प्रदेश कांग्रेस में पार्टी के विभिन्न निर्णयों के खिलाफ रार बढ़ने लगी है. प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और उनके समर्थकों के खिलाफ न सिर्फ वरिष्ठ कांग्रेसी खुलकर आवाज उठाने लगे हैं बल्कि प्रदेश के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी भी मैदान में कूद गए हैं. इससे शीला पर हाल फिलहाल में लिए गए सभी निर्णय वापस लेने का दबाव बढ़ने लगा है. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
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शीला की अनुपस्थिति के बावजूद शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस द्वारा उनकी ओर से 14 जिला व 280 ब्लॉक पर्यवेक्षकों की घोषणा पर विवाद शनिवार को और गहरा गया. पूर्व विधायक नसीब सिंह, हरी शंकर गुप्ता, चौ. मतीन अहमद, सुरेंद्र कुमार, चौ. ब्रहृापाल, आसिफ मोहम्मद खान, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी, एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश बिधूड़ी और चतर सिंह सहित करीब 24 पार्टी नेता कनॉट प्लेस के एक रेस्तरां में एकत्रित हुए. करीब एक घंटे चली बैठक में सभी ने एकमत से इसका विरोध जताया कि प्रदेश कांग्रेस में एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, जो पार्टी के लिए नुकसानदायक हैं.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिला व ब्लॉक पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी आम सहमति से नहीं की गई. इन नेताओं का कहना था कि शीला दीक्षित पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में भी ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं. इस बैठक के बाद इनमें से करीब आधे नेता प्रदेश प्रभारी पीसी चाको से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. उन्होंने चाको को एक ज्ञापन देते हुए प्रदेश की इस स्थिति पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया. ज्ञापन की एक प्रति पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल को भी भेजी गई है.
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीनों कार्यकारी अध्यक्षों हारून यूसुफ, देवेंद्र यादव और राजेश लिलोठिया की ओर से शीला दीक्षित को एक हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखा गया है. इसमें कहा गया है कि प्रदेश के लिए एक अध्यक्ष और तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति स्वयं एआइसीसी ने की है. बावजूद इसके पार्टी के निर्णयों में उन्हें ही भरोसे में नहीं लिया जा रहा है. यही नहीं एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष इन्हीं मुददों को सुलझाने के लिए कार्यकारी अध्यक्षों की बैठक बुलाती हैं. वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक और जिला पर्यवेक्षकों की घोषणा कर दी जाती है, यह सब अस्वीकार्य है. प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने भी शीला को कड़ा पत्र लिखा है. इसमें चाको ने शीला को अपने 29 जून और एक जुलाई को लिखे पत्रों की याद दिलाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह इन सभी फैसलों को रद करें. चाको ने यह भी कहा है उनके जैसे वरिष्ठ नेता के होते हुए प्रदेश कांग्रेस में कुछ अनधिकृत लोग विरोधाभासी निर्णय ले रहे हैं, जो पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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