पटना: बिहार के किसान अब नई तकनीक से आलू की खेती करते हुए नज़र आने वाले है. इस तकनीक का नाम एरोपोनिक तकनीक है, जिसके माध्यम से अब जमीन के स्थान हवा में आलू की खेती होगी और इससे पैदावार भी 10 गुना तक बढ़ने वाली है. यह कहना है हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रोद्योगिकी केंद्र से आलू खेती की नई तकनीक का अध्ययन कर लौटे सहरसा के अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के विज्ञानिक पंकज कुमार राय का.
आपको आश्चर्य तो आवश्यक होगा कि हवा में आलू की खेती करना किस तरह से संभव है, लेकिन यह संभव हो चुका है. दरअसल, एरोपोनिक आलू खेती की एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा बिना मिट्टी और ज़मीन के आलू की खेती भी कर सकते है. इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी को भी पूरा किया जा सकता है.
एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) का इजाद हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के द्वारा कर लिया गया है. इस तकनीक की खास बात यह है कि खेती में इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी पूरी की जा सकती है और तो और इस तकनीक से खेती करने पर आलू की पैदावार 10 गुना तक बढ़ने वाली है. सरकार द्वारा इस तकनीक से आलू की खेती करने की अनुमति भी दे दी गई है.
ख़बरों की माने तो आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल का इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर के साथ MOU हुआ है. एमओयू होने के उपरांत इंडिया गवर्नमेंट सरकार द्वारा एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) से आलू की खेती करने की अनुमति दी जा चुकी है.
किसानों की आमदनी बढ़ाएगी यह तकनीक: एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Potato Farming) से किसानों को बहुत अधिक लाभ भी मिलेगा, क्योंकि इससे किसान कम लागत में ही आलू की अधिक से अधिक पैदावार करना आसान हो सकता है, और ज़्यादा पैदावार होने से उनकी आमदनी में भी वृद्धि होगी. इस तकनीक के जो विशेषज्ञ हैं, उनका ऐसा कहना है कि इस तकनीक में लटकती हुई जड़ों के द्वारा उन्हें पोषण (nutrients) दिए जाते हैं. जिसके बाद उसमें मिट्टी और ज़मीन की आवश्यकता नहीं होती.
ख़बरों की माने तो सहरसा जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र, आगवानपुर, के कृषि वैज्ञानिक हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रौधौगिकी केंद्र से आलू खेती की नई तकनीक का अध्ययन कर लौटे अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार राय का कहना है कि बहुत सारे किसान जो अभी तक परंपरागत खेती किया करते थे, उसकी तुलना में यह तकनीक उनके लिए बहुत अधिक लाभदायक हो सकती है. इस तकनीक के द्वारा आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता को 3 से 4 गुणा तक वृद्धि की जा सकती है. इस तकनीक से सिर्फ़ हरियाणा ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा. इस तरह नई-नई तकनीकों के आने से किसानों को सूचना मिलने के साथ-साथ उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है. जो उनके और हमारे राज्य दोनों के लिए बेहतर है.
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