बनारस की जीत से मजबूत होगा दिल्ली का किला! भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में शामिल सांसदों को संसद में होने वाली कार्रवाई के दौरान आपने टेलिविजन सैट पर देखा होगा। इसके ही साथ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा किए जाने वाले हंगामे को लेकर भी आपको जानकारी मिली होगी लेकिन अब आगामी समय में विपक्ष इस तरह से हंगामा कर संसद की कार्रवाईयों को बाधित नहीं कर पाएगा।
आपको भी आश्चर्य होता होगा कि लगभग हर दिन संसद में कार्रवाईयां बाधित हो जाती हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण बिल और मसौदे पारित होने से रह जाते हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। आपको हैरानी हो रही होगी कि आखिर ऐसा कैसे होगा। जी हां यह सबस होगा भारतीय जनता पार्टी को 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में अधिकांश राज्यों में मिली जीत के कारण। विशेषकर सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रचंड बहुमत से काबिज होने से भारतीय जनता पार्टी को कई लाभ होंगे।
भाजपा जिस उद्देश्य से वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर आई है उसका मार्ग अब आसान होगा और वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अपना मजबूत आधार बनाएगी। भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने के ही साथ भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति का मजबूत आधार बनाया है। जहां उत्तरप्रदेश में 14 वर्ष का वनवास समाप्त होने की बात कही जा रही है वहीं भाजपा ने राजनीति की नई ईबारत लिखी है।
एक ओर जहां बहुमत से उत्तरप्रदेश में काबिज होने से भाजपा की झोली में एक और राज्य आया है और यहां पर सुशासन, विकास और सबका साथ और सबका विकास जैसे फाॅर्मूलों के आधार पर भाजपा अपनी गहरी राजनीतिक पैठ बना सकती है। वहीं राज्यसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के मतों का आधार मजबूत हुआ है। राज्य सभा में भाजपा और इसके सहयोगी दलों के नेताओं के काबिज होने का रास्ता उत्तरप्रदेश राज्य से ही जाता है।
विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद भाजपा को राज्यसभा में भी बड़ी सफलता मिलेगी और ऐसे में भाजपा मजबूती के साथ कोई भी विधेयक पारित करवा सकेगी। विपक्ष इसके बाद बात बात पर हंगामा कर सदन की कार्यवाही प्रभावित नहीं कर पाएगा। भारतीय जनता पार्टी की उत्तरप्रदेश विधानसभा की जीत का एक रास्ता रायसीना हिल्स की ओर जाता है। जी हां, वही रायसीना हिल्स की पहाडि ़यां जहां राष्ट्रपति भवन बसा है। आगामी समय में राष्ट्रपति का निर्वाचन होना है।
ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की जीत बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। माना जा रहा है कि पहली बार आरएसएस का कोई व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग पर जीत कर आई भाजपा के ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पसंद का राष्ट्रपति कैंडिडेट तय कर सकते हैं। जिससे भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत हो जाएगी। भाजपा की शानदार जीत के बाद अब समाजवादी पार्टी को आत्ममंथन करना होगा साथ ही कांग्रेस को अपनी राजनीतिक संरचना को मजबूत करने के लिए कुछ नई बात करनी होगी।
हालांकि भाजपा को अपनी जीत को बनाए रखने के लिए उत्तरप्रदेश को उत्तम प्रदेश में बदलना होगा मगर सुशासन और विकास के नाम पर चुनकर आई भाजपा के लिए यह अधिक मुश्किल नहीं है। बस भाजपा को यह याद रखना होगा कि इसके नेता तानाशाह की तरह न हो जाऐं। यूपी में विकासवादी राजनीति भाजपा के लिए कई और संभावनाओं को जन्म दे सकती है। अब तक भाजपा और केंद्र सरकार की आलोचना करने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति की शतरंज की बिसात पर मोहरें चलने में संभलकर काम लेना होगा।
भले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी दूसरी पार्टी साबित हुई हो लेकिन अरविंद केजरीवाल को खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर पहचान दिलवाने और तीसरे मोर्चे के माध्यम से प्रधानमंत्री का पद पाने के लिए बहुत संघर्ष करना होगा। कांग्रेस और अन्य दलों को उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से अपनी राजनीतिक जमीन को बचाए रखने के लिए कशमकश करना होगी। अब उन्हें भी समझ आ गया है कि जातिगत और सांप्रदायिक मसलों से से अलग हटकर विकासवादी राजनीति करनी होगी तभी वे अपना क्षेत्रीय अस्तित्व बचा सकेंगे।