जम्मू: देश के राज्य जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के बंधन से मुक्त करने के पश्चात् अब वहां एक नया एक्सपेरिमेंट हो सकता है. अर्थात, चुनाव के पश्चात् होने वाले सरकार गठन से पूर्व ही जनता तथा राजनीतिक दलों को सरकार का अहसास. माना जा रहा है कि नव नियुक्त उप राज्यपाल मनोज सिन्हा करीब 12 राजनीतिक सलाहकार नियुक्त करेंगे. रोचक यह है कि इसके लिए वह पीडीपी, राष्ट्रिय कांफ्रेस सहित प्रदेश में एक्टिव सभी दलों से उनके लोगों की डिमांड कर सकते हैं.
वही कहने को वह उपराज्यपाल के राजनीतिक सलाहकार होंगे, किन्तु काम पूरी प्रकार से एक कैबिनेट के तौर पर करेंगे, जिनमें सभी सलाहकार अपने-अपने डिपार्टमेंटों की जिम्मेदारी संभालेंगे. बताया जाता है कि मनोज सिन्हा की रियल चुनौती सभी पोलिटिकल दलों को इसके लिए तैयार करने की होगी. वही जम्मू-कश्मीर से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में पोलिटिकल प्रक्रिया आरम्भ करने के लिए सीटों के परिसीमन तथा उसके पश्चात् धानसभा इलेक्शन की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती है.
वही अगर उसके पूर्व पोलिटिकल प्रक्रिया आरम्भ नहीं की गई, तो विधानसभा इलेक्शन के लिए भी अनुकूल माहौल तैयार नहीं हो सकेगा. नए रूप रंग में सलाहकारों की नियुक्ति के प्रयास को इसी तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल यह प्रयोग न केवल उपराज्यपाल को केंद्र सरकार या बीजेपी के प्रतिनिधि होने के इमेज से बाहर निकालेगा. बल्कि जनता तथा पोलिटिकल दलों के मध्य भी भरोसा उत्पन्न हो सकता है. वही कौन कौन से पोलिटिकल दल इसके लिए तैयार होते हैं यह समय बताएगा, किन्तु यह एक अवसर होगा. यदि राजनीतिक दल चाहें तो जिम्मेदारी के साथ विकास के लिए जुड़ सकते हैं. वही अब सब कुछ समय पर ही निर्भर करता है.
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