कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में भरे हाहाकार मचा रखा है वही इस बीच एक जानकारी सामने आई जिसमे पता चला है कि सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया कोरोना वायरस का नया वेरिएंट मूल से अधिक भयावह नहीं है, किन्तु यह अधिक संक्रामक है। ‘द लांसेट इन्फेक्शस डिजीजेज’ तथा ‘द लांसेट पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित रिसर्च में इस बात का कोई गवाह नहीं पाया गया कि बी।1।1।7। स्वरूप से संक्रमित व्यक्तियों में अपेक्षाकृत गंभीर लक्षण हैं अथवा उन पर किसी अन्य वेरिएंट से संक्रमित रोगियों के मुकाबले अधिक समय तक संक्रमित रहने का संकट है।
अध्ययन के अनुसार, बी।1।1।7। संबंधी आरभिंक आंकड़े इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि इस वायरस से संक्रमित व्यक्तियों में वायरल लोड (शरीर में वायरस की मात्रा) अधिक होने कि वजह से यह ज्यादा संक्रामक है। कुछ सबूतों में संकेत प्राप्त हुआ है कि वायरल लोड अधिक होने से व्यक्तियों को हॉस्पिटल में एडमिट करने की आवश्यकता अधिक होती है। साथ ही उनके मरने की संभावना भी अधिक होती है। बहरहाल इस वेरिएंट की हाल में पहचान हुई है, इसलिए ये रिसर्च मौजूद डेटा के आधार पर ही किए गए।
वही ‘द लांसेंट पब्लिक हेल्थ’ पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में ‘कोरोना सिम्टम स्टडी’ ऐप का उपयोग करने वाले 36,920 व्यक्तियों के डेटा का अध्ययन किया गया है, जो सितंबर तथा दिसंबर 2020 के मध्य संक्रमित पाए गए थे। रिसर्च में सम्मिलित क्लेयर स्टीव ने कहा, ‘‘हम इसके ज्यादा संक्रामक होने की पुष्टि करते हैं, किन्तु हमने साथ ही दिखाया कि बी।1।1।7। पर लॉकडाउन का साफ़ तौर पर प्रभाव होता है तथा यह मूल वायरस से संक्रमित होने के पश्चात् उत्पन्न हुई प्रतिरोधी क्षमता के आगे बेअसर लगता है।’’
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