रांची : स्कूलों के बेहतर संचालन तथा वह का माहौल पढ़ने के अनूकूल बनाने के लिए कल्याण विभाग अपने कई आवासीय विद्यालयों का प्रबंधन गैर सरकारी संस्थाअों (एनजीअो) को देने जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद ये स्कूल एनजीअो द्वारा पहले से संचालित कुल पांच स्कूलों से बिलकुल ही अलग होंगे. हालाकिं अभी एनजीअो का चयन नहीं किया गया है चयन के लिए अभी मामला विचाराधीन है.
स्कूलों के बेहतर संचालन के लिए यह कदम उठाया गया है. आपको बता दें कि कल्याण विभाग अभी तक एससी, एसटी, पीटीजी व ओबीसी बच्चों के लिए लगभग 132 विद्यालयों का प्रबंधन संभालता है. इनमें एकलव्य व आश्रम विद्यालय भी शामिल हैं. सभी स्कूलों में लगभग 21,300 बच्चों की क्षमता है. सभी स्कूलों में शिक्षकों के कुल 1063 पद हैं, लेकिन अभी भी 449 शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं. केवल शिक्षकों की कमी ही कल्याण विभाग की समस्या नहीं अपितु इन स्कूलों की हालत पहले से भी बेहद बदतर रही है.
पानी, बिजली, भोजन, शौचालय जैसी बहुत सी बुनियादी सुविधाओं की परेशानी के अलावा पठन-पाठन का अनुकूल माहौल भी नहीं है. खुद विभागीय रिपोर्ट (2009 व 2011 की) में यह बात सामने आ चुकी है कि वहां बच्चे विपरीत परिस्थिति में पढ़ रहे हैं. राज्य के 23 जिलों (कोडरमा में आवासीय विद्यालय नहीं है) में स्थित इन आवासीय विद्यालयों में से 108 का सर्वे किया गया था.
सर्वे के बाद रिपोर्ट विभाग को सौंपी गयी जिसके बाद कुछ शिक्षकों की नियुक्ति तो हुई, लेकिन जरूरत के हिसाब से नियुक्तियां अभी भी रिक्त ही पड़ी हैं. अब सरकार गैर सरकारी क्षेत्र के जरिये कम से कम पठन-पाठन में सुधार लाना चाहती है.