सड़क निर्माण के लिए एनएचएआइ फिर से अमल में लाएगी बीओटी मॉडल, जानें क्या है योजना

सड़क निर्माण के लिए एनएचएआइ फिर से अमल में लाएगी बीओटी मॉडल, जानें क्या है योजना
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नई दिल्लीः केंद्र सरकार देश में सड़कों का जाल बिछाना चाहती है। इस योजना में सरकार काफी हद तक सफल भी रही है। बीते सालों में देश में कई बड़े हाईवे बने हैं। अब सरकार इसे और गति देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी का पुराना बीओटी मॉडल अपनाने जा रही है। चार साल तक हाइब्रिड-एन्युटी और ईपीसी मॉडल अपनाने के बाद एनएचएआइ अब फिर बीओटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने में जुट गया है। हाल में उसने लगभग 950 किलोमीटर हाईवे परियोजनाओं के ठेके बीओटी आधार पर देने का निर्णय लिया है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं के लिए बीओटी अर्थात (बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर अर्थात सड़क बनाओ, समझौता अवधि तक सड़क के रखरखाव के साथ वाहनों से टोल वसूलो और फिर अंत में सड़क सरकार को वापस सौंप दो) मॉडल की शुरुआत वाजपेयी सरकार ने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के दौरान की थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोग्राम की सड़क परियोजनाओं में इस मॉडल का प्रयोग किया। परंतु मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में सड़क परियोजनाओं की सुस्ती के कारण जब बैंकों ने लोन देने में आनाकानी शुरू कर दी, तो बीओटी मॉडल के विकल्पों पर विचार होने लगा।

इसके बाद एन्युटी (निजी कंपनी पैसा लगाती है, जबकि सरकार हर साल उसे भुगतान करती है) और ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन-इसमें सरकार एडवांस में निजी कंपनी को पैसों का भुगतान करती है) जैसे नए मॉडल सामने आए। इसके बाद जब मोदी सरकार आई तो लंबित परियोजनाओं को आगे बढ़ाने तथा निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए बीओटी परियोजनाओं के बदले हाइब्रिड-एन्युटी तथा ईपीसी मॉडलों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। इससे सैकड़ों अटकी परियोजनाओं के पूरा होने का रास्ता खुल गया। मगर चार साल बाद इन मॉडलों पर काम करना सरकार के लिए आर्थिक रूप से मुश्किल गया है। यही वजह है कि एनएचएआइ को फिर से बीओटी मॉडल अपनाने के लिए कहा गया है।

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