नई दिल्ली: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित JNU और मुंबई में स्थित TISS के छात्रों को भीमा-कोरेगाँव केस में आतंकी गतिविधियों के लिए भर्ती किया गया था। NIA ने 17 पन्नों का एक दस्तावेज, कोर्ट में डाफ्ट चार्जेज के रूप में पेश किया है। बता दें कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) पहले से ही वामपंथी गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है।
NIA ने बताया है कि इन दोनों ही शैक्षिक संस्थानों के स्टूडेंट्स को आतंकी गतिविधियों के लिए भर्ती किया गया था। भीमा-कोरेगाँव के जो आरोपित हैं, उन्हीं अर्बन नक्सलियों ने इन स्टूडेंट्स को बहाल किया था। NIA के मुताबिक, सभी आरोपित प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखते थे और एक समानांतर ‘जनता सरकार’ की स्थापित करने की साजिश रच रहे थे। साजिश थी कि सरकार की ताकत छीन कर एक सशस्त्र सत्ता खड़ी की जाए।
NIA के अनुसार, आरोपित CPI (माओवादी) के मेंबर थे। इनकी साजिश थी कि स्टूडेंट्स को आगे कर के आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाए, ताकि इन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठनों व बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त हो सके। 15 आरोपितों के खिलाफ NIA ने 17 पन्नों के ड्राफ्ट में आरोप तय किए हैं। ये आरोपित मानवाधिकार और सिविल अधिकारों के एक्टिविस्ट्स के रूप में एक अलग मुखौटा पहने हुए थे। इनके खिलाफ IPC UAPA की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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