इस्तांबुल में वुमन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के 52 किलोग्राम भार वर्ग में थाईलैंड की मुक्केबाज जितपोंग जुतामास को हराकर इंडियन बॉक्सर निकहत जरीन ने गोल्ड मेडल अपने नाम करके इतिहास रच डाला है। इससे पहले सेमीफाइनल में उनका मुकाबला ब्राजील की कैरोलिन डि एलमेडा के साथ हुआ था। पूर्व जूनियर विश्व चैम्पियन जरीन मुकाबले के बीच संयमित बनी रहीं और अपनी प्रतद्वंद्वी पर पूरी तरह दबदबा बनाए रखा जिससे वह 52 किग्रा वर्ग के मुकाबले में सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से जीत दर्ज करने में कामयाब हो गई थी।
6 बार की वर्ल्ड चैम्पियन एमसी मैरीकॉम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा सी ऐसी इंडियन वुमन बॉक्सर हैं जिन्होंने विश्व खिताब अपने नाम कर लिए है। अब हैदराबाद की बॉक्सर जरीन भी इस सूची में शामिल हो चुकी है। भारत का इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2006 में रहा है जब देश ने चार गोल्ड, एक रजत और तीन कांस्य सहित आठ मेडल अपने नाम किए थे।
इसके पहले भी खबर थी कि एशियाई चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता निकहत जरीन (52 किग्रा) ने सोमवार को इस्तांबुल में IBA महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में शानदार जीत के साथ सेमीफाइनल में पहुंचकर इंडिया के लिए मौजूदा टूर्नामेंट का पहला पदक पक्का कर चुके है। प्रतिष्ठित ‘स्ट्रैंड्जा मेमोरियल’ टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली निकहत ने अपनी शानदार लय को जारी रखते हुए इंग्लैंड की चार्ली-सियान डेविसन को 5-0 से मात दी है।
तेलंगाना की इस 25 वर्ष की मुक्केबाज ने क्वार्टर फाइनल में डेविसन के आक्रामक खेल का जवाब उन्हीं की शैली में दिया जा चुका है। पहले दौर में दोनों मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर जमकर हमला कर दिया है। निकहत ने हालांकि दूसरे दौर में अपना दबदबा बनाया और प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज के शरीर पर सटीक पंच जड़ दिए है। शुरुआती दो दौर में बढ़त कायम करने के बाद निकहत ने तीसरे दौर में रक्षात्मक खेल का सहारा लिया और एकतरफा जीत भी हासिल कर ली है।
नीतू (48 किग्रा) का अभियान हालांकि क्वार्टर फाइनल में कजाकिस्तान की मौजूदा एशियाई चैंपियन अलुआ बाल्किबेकोवा से 2-3 के खंडित निर्णय की हार के साथ समाप्त हो चुका है। हरियाणा की 21 वर्ष की दो बार की युवा विश्व चैम्पियन को शुरुआती 2 दौर में रक्षात्मक खेल का खामियाजा भुगतना करना पड़ गया है। वह इस दौरान बाल्किबेकोवा को मुक्के लगाने के लिए संघर्ष कर रही थी। उन्होंने तीसरे दौर में आक्रामक रूख अपनाया लेकिन तब तक देर हो गई थी।
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