मुंबई : आज मुंबई हमले को आठ बरस पूरे हो गए. इस हमले में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनके यादों के ज़ख्म आज फिर हरे हो गए. विडंबना यह है कि इस हमले का मास्टरमाइंड हाफ़िज़ सईद नौवीं बरसी के दो दिन पूर्व पाकिस्तान में नजरबंदी से आज़ाद हो गया. सामान्य जनों के अलावा जिन्होंने अपनों को खोया था उसमें पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को पकड़ने के प्रयास में शहीद होने वाले पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम आंबले का परिवार भी शामिल है.
इस मौके पर उनकी बेटी वैशाली आंबले ने नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए बताया कि ‘हमें हमेशा लगता है कि पापा किसी भी क्षण घर लौट जाएंगे, हालांकि हमें यह पता है कि वह अब कभी नहीं आएंगे’ एमएड कर चुकी वैशाली शिक्षिका बनना चाहती हैं. अपने पिता के बारे में उसने कहा हमने उनके सामानों को घर में उन्हीं जगहों पर रखा है, जहां वे पहले रखते थे. पूरा परिवार शहीद आंबले को रोज याद करता है. वैशाली अपनी मां तारा और बहन भारती के साथ वर्ली पुलिस कैंप में रहती हैं.
उल्लेखनीय है कि मुंबई हमले के समय पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम आंबले ने अदम्य साहस का परिचय देकर पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ा था. निहत्थे आंबले ने मुंबई के गिरगांव चौपाटी में भारी हथियारों से लैस कसाब की राइफल को पकड़ लिया और मरते दम तक उसे नहीं छोड़ा. कसाब को पकड़ने की कोशिश में उन्हें कई गोलियां लगीं और उनकी मौत हो गई थी. उनके इस सर्वोच्च बलिदान पर भारत सरकार ने 26 नवंबर 2011 को शांतिकाल में दिए जाने वाले सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र से उन्हें सम्मानित किया था.
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