कोच्ची: केरल में निपाह वायरस के कुल छह मामले सामने आए हैं। इन छह में से दो लोगों की मौत हो चुकी है और बाकी चार का इलाज चल रहा है। केरल के कोझिकोड में गुरुवार और शुक्रवार को सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। 706 लोग संपर्क सूची में हैं, जिनमें से 77 उच्च जोखिम श्रेणी में हैं, जबकि 153 स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बुधवार को कहा कि उच्च जोखिम श्रेणी में किसी में भी फिलहाल लक्षण नहीं दिख रहे हैं।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। दूषित भोजन और किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से मानव-से-मानव में प्रसार हो सकता है। यह सूअरों में बीमारी का कारण भी बन सकता है। यह वायरस हल्की से लेकर गंभीर बीमारी और यहां तक कि कुछ मामलों में मौत का कारण भी बन सकता है। यह पहली बार 1999 में सूअरों और लोगों में फैलने के बाद खोजा गया था।
निपाह वायरस के लक्षण:-
निपाह वायरस के लक्षणों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
स्पर्शोन्मुख संक्रमण
तीव्र श्वसन संक्रमण
घातक एन्सेफलाइटिस
प्रारंभ में, संक्रमित व्यक्तियों को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश का अनुभव होता है। इनके बाद, संक्रमण चक्कर आना, उनींदापन, तंत्रिका संबंधी समस्याएं और परिवर्तित चेतना जैसे लक्षण पैदा करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कुछ लोगों को गंभीर श्वसन समस्याओं और असामान्य निमोनिया का भी अनुभव हो सकता है। गंभीर मामलों में, एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ सकते हैं, जो कोमा में बदल सकते हैं। संक्रमित होने के 4 से 14 दिन बाद लक्षणों की शुरुआत हो सकती है। कुछ मामलों में, ऊष्मायन अवधि 45 दिनों तक भी लंबी हो सकती है। बता दें कि, ऊष्मायन अवधि (incubation period) किसी रोगजनक जीव, रसायन या विकिरण (रेडियेशन) से सम्पर्क होने और इस सम्पर्क के कारणवश रोग के प्रथम लक्षण व चिह्न स्पष्ट होने के बीच की अवधि होती है। संक्रमण की स्थिति में इस अवधि में रोगजनक जीव अपनी संख्या बढ़ाकर उस स्तर तक पहुँचता है कि रोगी के शरीर में रोग के लक्षण (मसलन ज्वर, दर्द, सूजन, उल्टी होना, इत्यादि) दिखने लगते हैं।
निपाह वायरस का इलाज:-
WHO के अनुसार, वर्तमान में निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका नहीं है। ऐसी कोई विशिष्ट दवाएँ भी नहीं हैं जो उपचार के लिए निर्धारित हों। शोधकर्ता अभी तक निपाह वायरस का टीका विकसित नहीं कर पाए हैं।
निपाह वायरस से बचाव:-
प्रकोप के दौरान, व्यक्तियों को निम्नलिखित निवारक कदमों का पालन करना चाहिए:
बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क से बचें
अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं
ऐसे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचें जो दूषित हो सकते हैं
संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क से बचें
संक्रमित व्यक्ति के रक्त और शरीर के तरल पदार्थ के साथ किसी भी तरह के संपर्क से सख्ती से बचना चाहिए
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