राजद अब राजनीति में ‘लंपटीकरण’ का पर्याय बन गया है. राजद पर लगा ’लंपटीकरण’ का टैग हटाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में शामिल असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई करनी चाहिए. ये विचार हैं जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार के. शुक्रवार उन्होंने कहा कि वैसे, कहा गया है कि जब घर का प्रमुख ही दागदार हो तो शेष पर कार्रवाई की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? राजद के प्रमुख लालू प्रसाद खुद अदालत द्वारा सजायाफ्ता हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने पर ही रोक लगा दी गई है ऐसे में पार्टी में असामाजिक तत्वों पर पार्टी में कोई कैसे अंगूली उठा सकता है?राजद के विधायक राजवल्लभ यादव दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद हैं. परंतु इस विधायक के मामले की जांच न कर राजद का प्रतिनिधिमंडल गया दुष्कर्म के मामले में जांच करने जाता है.
उन्होंने कहा, 'तेजस्वी यादव जी, को मेरी सलाह है कि लालू प्रसाद आपके पिता हो सकते हैं परंतु राजनीति में बिहार की जनता उन्हें करीब 15 साल पूर्व नकार चुकी है ऐसे में उनके छांव से बाहर निकलकर स्वच्छ राजनीति कीजिए और ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर निकालिए वरना राजद पर लगा ’लंपटीकरण’ का टैग नहीं हटेगा'. उन्होंने कहा कि एक कहावत है, 'बाढे पूत पिता के धरमे, खेती उपजे अपने करमे’. लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव जी दुष्कर्म मामले की जांच के लिए प्रतिनिधिमंडल तो गया भेज देते हैं, परंतु राजद की टीम वहां पीड़िता को ही जलील कर आती है. ऐसे मामलों में भी तेजस्वी ने कोई कार्रवाई नहीं की. सत्ता छीन जाने के बाद शराबबंदी नीति का विरोध करने वाली राजद के प्रदेश महासचिव राजू यादव को पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में शराब की पार्टी करते नशे में मदहोश हालत में पुलिस ने गिरफ्तार किया, परंतु राजद की राजनीतिक ’बेहयाई’ देखिए, इतने के बाद भी पार्टी ऐसे लोगों पर कारवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है.
राजद प्रवक्ता ने कहा कि भोजपुरी में एक कहवत है, 'विधि के लिखल बांव ना जाई’. आज राजद के लिए यह कहावत पूर्ण रूप से चरितार्थ हो रहा है. राजद के सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव के लिए अपने भाई तेजप्रताप यादव भी कम मुसीबत नहीं हैं. सार्वजनिक रूप से पार्टी के अंदर असामाजिक तत्वों के रहने की बात करने वाले तेजप्रताप पर भी पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकी. वैसे, तेजप्रताप ने जिन असामाजिक लोगों की पार्टी में रहने बात की थी अब इन कारनामों के बाद उन लोगों के चेहरे बिहार के लोगों के सामने आने लगे हैं.
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