नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों को फांसी दिए हुए आज एक वर्ष पूरा हो रहा है. 20 मार्च 2020 को निर्भया के चारों दोषियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी. पूरे देश ने अदालत के इस आदेश की सराहना करते हुए महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़न पर लगाम लगाने के लिए इसे एक आवश्यक कदम बताया था. किन्तु दोषियों के वकील रहे एपी सिंह ने इस फांसी पर कई सवाल उठाए हैं.
एपी सिंह ने आगे कहा कि 4 युवकों को केवल इसलिए फांसी पर चढ़ा दिया, क्योंकि समाज को एक संदेश देना था. ये ज्यूडिशियल किलिंग है. एक निर्भया की मौत का बदला 5 लोगों को मार कर लिया गया. किन्तु क्या इन चारों को फांसी पर लटकाने के बाद भी देश में दुष्कर्म के मामलों में कोई कमी आई? बता दें कि पांचवें आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ में ख़ुदकुशी कर ली थी.
एपी सिंह ने कहा कि दुष्कर्म के मामलों को रोकने के लिए फांसी हल नहीं है. इन सभी युवकों का यह पहला अपराध था और सभी काफी गरीब परिवार से थे. इनके जेल जाने के बाद से ही इनका परिवार इतनी बुरी स्थिति में था कि रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे थे. इन सभी को फांसी दिए जाने के बाद किसी की पत्नी विधवा हो गई तो किसी से उसका बाप छिन गया, तो किसी के पिता की मौत बेटे की फांसी लगने के बाद सदमे में हो गई और मां विधवा हो गई.
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