जब भी फिल्मों के अंदर मां का नाम आता है तो सबसे पहले निरूपा रॉय का चेहरा सामने चला आता है. निरूपा रॉय का जन्म 4 जनवरी 1931 को गुजरात के बलसाड में हुआ था और 13 अक्टूबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. मात्र 15 साल की उम्र में निरूपा रॉय की शादी हो गई थी. सन् 1946 में निरूपा के पति ने एक विज्ञापन देखा जिसमें लिखा था एक्टर्स की जरूरत है. यहीं से शुरू हुआ निरूपा रॉय का फिल्मी करियर. गुजराती फिल्म 'गणसुंदरी' से उन्होंने शुरूआत की.
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निरूपा रॉय को बॉलीवुड में पहचान 1953 में आई फिल्म 'दो बीघा जमीन' से मिली. इस फिल्म से उन्होंने अपनी एक्टिंग का लौहा मनवाया. फिल्म में निरूपा रॉय का अभिनय इतना दमदार था की उन्हें इंटरनेशनल अवॉर्ड भी दिया गया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, 40 से 50 के दशक में निरूपा रॉय ने कई भक्ति फिल्मों में काम किया. जिसमें वह माता के किरदार में नजर आईं. आश्चर्य की बात तो यह है की कई लोग उनके घर आते थे उनके दर्शन करने और पैर छूने आते थे. एक दशक के बाद जब फिल्मों का दौर बदला तब निरूपा रॉय एक नए किरदार में सबके सामने आई और वो थी अमिताभ बच्चन की मां के रूप में. अमिताभ की हर फिल्म में निरूपा उनके मां के रूप में नजर आने लगीं. फिल्म 'दीवार' का वह फेमस डायलॉग, 'मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है. तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास, 'मां' है. इन सभी जबरदस्त भूमिकाओं के लिए उन्होने सिनेमाजगत में सम्मान के साथ देखा गया है.
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