‘दीवार’ फिल्म तो आप सभी ने देखी ही होगी। इस फिल्म में नजर आईं थीं निरूपा रॉय और इनके बेटे बने थे अमिताभ बच्चन और शशि कपूर। इस फिल्म में निरूपा रॉय ने जो किरदार निभाया था उसे लोग आज तक नहीं भुला पाए हैं। फिल्म सुपरहिट रही और फिल्म में जब-जब निरूपा रॉय स्क्रीन पर आईं उन्होंने लोगों को रोने पर मजबूर कर दिया। इस फिल्म में माँ का किरदार निभाकर निरुपा जगत माँ बन गईं। आज भी लोग उन्हें अमिताभ की माँ के नाम से जानते हैं। निरूपा रॉय ने स्क्रीन पर सबसे ज्यादा अगर किसी की माँ का किरदार निभाया तो वह अमिताभ ही थे। दीवार फिल्म यश चोपड़ा ने बनाई थी और वह निरुपा की जगह वैजयंती माला को लेना चाहते थे, लेकिन जब वैजयंती को पता चला कि राजेश खन्ना ने इस फिल्म को करने से मना कर दिया है, तो वह भी नहीं मानी। उसके बाद यश चोपड़ा ने वहीदा रहमान को लेने के बारे में सोचा लेकिन वहीदा उस समय ‘कभी-कभी’ फिल्म में अमिताभ के साथ कास्ट हो चुकी थीं। अंत में यह किरदार निरुपा रॉय के पास आया और फिर फिल्म सुपरहिट हो गई।
कैसे मिला इंडस्ट्री में काम - निरुपा रॉय का असल नाम निरुपा नहीं था बल्कि उनका असली नाम कोकिला किशोरचंद्र बुलसारा था। उनका जन्म गुजरात के वलसाड में हुआ था। उन्होंने ज्यादा पढ़ाई भी नहीं की थी। केवल चौथी कक्षा तक वह पढ़ी-लिखी थीं और मात्र 15 साल की उम्र में ही उनका विवाह भी हो गया था। उनका विवाह सरकारी मुलाजिम कमल रॉय से हुआ था। निरुपा बहुत खूबसूरत थीं। एक दिन की बात है जब दोनों पति-पत्नी बैठे अखबार पढ़ रहे थे। उस दौरान दोनों को एक विज्ञापन दिखा। उसमे लिखा था- 'अभिनेता-अभिनेत्रियों की जरूरत है।' इस विज्ञापन को देखने के बाद दोनों पति-पत्नी मुंबई चले गए। वहां दोनों ने इंटरव्यू दिया लेकिन कास्ट हुईं केवल कोकिला (निरुपा)। फिल्मों में काम करने के लिए कोकिला ने अपना नाम बदलकर रख डाला निरूपा रॉय। साल 1946 में निरुपा की पहली फिल्म रिलीज हुई, जिसका नाम था ‘रनक देवी’। यह फिल्म गुजराती थी लेकिन इस फिल्म में उन्हें पसंद किया गया। उसके बाद साल 1946 में ही निरुपा की पहली हिंदी फिल्म भी रिलीज हुई, जिसका नाम था ‘अमर राज’। ये फ़िल्में करने के बाद निरुपा रॉय हिट होती गईं और उन्हें फैंस का प्यार मिलता गया।
केवल माँ ही नहीं बल्कि मुख्य अभिनेत्री भी थीं निरुपा रॉय - आज के समय में निरूपा रॉय को केवल उनके मां वाले किरदारों के लिए ही याद किया जाता है, लेकिन वह इससे पहले मुख्य अभिनेत्री बनती थीं। जी हाँ, अपने करियर के शुरुआती दिनों में निरूपा कई फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री बनी थीं। उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई सुपरहिट फ़िल्में दी और उन फिल्मों में वह मुख्य अदाकारा रहीं। फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ में उन्होंने मुख्य अभिनेत्री का किरदार निभाया था और इसी किरदार ने उन्हें सुपरहिट कर दिया था। त्रिलोक कपूर के साथ निरुपा ने कुल 18 फिल्में की थीं। वहीं भारत भूषण, बलराज साहनी और अशोक कुमार के साथ भी निरूपा ने कई फ़िल्में की और सभी में वह मुख्य किरदारों में रहीं। ‘तांगेवाली’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘गुणसुंदरी’, ‘रानी रूपमती’ और ‘गरम कोट’ जैसी फिल्मों में निरुपा ने कमाल कर दिया था।
बनी थीं तीन फिल्मों में सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाली पहली अदाकारा- साल 1951 में ‘हर हर महादेव’ फिल्म रिलीज हुई थी। इस फिल्म में निरुपा रॉय ने देवी पार्वती का किरदार निभाकर लोगों की नजरों में अपनी छवि देवी के रूप में स्थापित कर दी। वह उस समय देवी पार्वती के नाम से भी मशहूर हो गईं थीं। उस दौरान निरूपा के घर के सामने लोगों की लाइन लगती थी, जो उनसे आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से आते थे। निरूपा के बारे में एक और दिलचस्प बात अगर हम आपको बताए तो वह यह है कि तीन फिल्मों में सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाली पहली अदाकरा वहीं थीं। उन्होंने तीन फिल्मों के लिए अवॉर्ड अपने नाम किये थे जिनमे ‘मुनीम जी’, ‘छाया’ और ‘शहनाई’ शामिल थीं।
असल जिंदगी में बेटों ने दिया दुःख- बॉलीवुड में भावुक, दुखियारी माँ का किरदार निभाने वाली निरुपा रॉय ने असल जिंदगी में खूब दुःख झेले। वह केवल स्क्रीन पर ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी रोती रहीं। असल जिंदगी में भी उन्हें अपने बेटों से केवल दुःख मिले। उनके दो बेटे हैं जिनके नाम योगेश और किरन हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि साल 2001 में निरुपा के छोटे बेटे की पत्नी ने निरूपा, उनके पति कमल और उनके बड़े बेटे पर दहेज प्रताड़ना का केस दायर करवाया था। उस दौरान निरूपा गिरफ्तार भी होने वाली थीं लेकिन वह बच गईं। उसी दौरान उनकी बहू ने उनके परिवार पर काले धन से जुड़े गंभीर आरोप भी लगाए थे। केवल इतना ही नहीं बल्कि बहू ने तो यह तक कह दिया था कि 'निरूपा ने उसे घर से निकाल दिया था।' अपने फ़िल्मी करियर में बेटों से दुःख पाने वाली निरुपा असल जिंदगी में भी दुःख ही झेलती रहीं। असल जिंदगी में भी उन्हें अपने बेटों से प्यार नहीं मिला। निरुपा को उनके बेटों ने जितने दुःख-दर्द दिए वह स्क्रीन पर बने बेटों से काफी अधिक थे।
निरुपा की मौत के बाद प्रॉपर्टी के लिए बेटों में हुई लड़ाई- निरूपा रॉय ने साल 2004 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी मौत के बाद उनके दोनों बेटों ने प्रॉपर्टी को लेकर खूब झगड़ा किया। निरूपा ने अपने फ़िल्मी करियर के दौरान साल 1963 में मुंबई के नेपियन सी रोड पर 10 लाख रुपए की प्रॉपर्टी खरीदी थी। यह उस दौरान चौकाने वाली बात थी क्योंकि उन्होंने उस दौरान बहुत कम फ़िल्में की थीं और इसी वजह से उनके इतनी महंगी प्रॉपर्टी खरीदने पर सवाल उठे थे। वैसे उस प्रॉपर्टी में 3 हजार स्क्वायर फिट में फैला घर और 8 हजार स्क्वायर फिट का गार्डन है। आज उसी प्रॉपर्टी की कीमत 100 करोड़ से भी अधिक है। जब निरूपा ने मौत को गले लगाया तो उनकी प्रॉपर्टी के मालिक उनके पति कमल हो गए। वहीं जब कमल की मौत हुई तो दोनों बेटों में प्रॉपर्टी के लिए लड़ाई हुई। उस दौरान निरुपा रॉय के छोटे बेटे किरन ने यह दावा किया था कि निरुपा के बड़े बेटे योगेश उन्हें बहुत परेशान करते थे इसी के कारण निरुपा और कमल प्रॉपर्टी को किरन के नाम कर गए, हालाँकि इस बारे में योगेश ने कभी कुछ नहीं कहा।
हमेशा अच्छी नहीं होती फ़िल्मी सितारों की जिंदगी- कई लोग यह समझते हैं कि फ़िल्मी सितारों की जिंदगी बहुत अच्छी होती है क्योंकि उनके पास सब कुछ होता है, हालाँकि ऐसा नहीं है। हर अभिनेता या अभिनेत्री की जिंदगी अच्छी नहीं होती है। भले ही स्क्रीन पर स्टार्स अच्छे किरदार निभाए लेकिन कई बार असल जिंदगी में उनकी हालत बहुत खराब रहती है और स्क्रीन जैसी जिंदगी उनकी कभी नहीं होती। अब आप निरुपा रॉय को ही देख लीजिये।