भारतीय संस्कृति में समाहित है धर्मनिरपेक्षता, हमें पाठ पढ़ाने की जरुरत नहीं- नितिन गडकरी

भारतीय संस्कृति में समाहित है धर्मनिरपेक्षता, हमें पाठ पढ़ाने की जरुरत नहीं- नितिन गडकरी
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र भारत की संस्कृति में शामिल है, किसी को हमें पाठ पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है.  उन्होंने कहा कि कोई भी किसी भी मजहब के खिलाफ नहीं है. हम स्वभाव से बहुत दयालु और सहनशील हैं. किसी को भी हमें इन मूल्यों के संबंध में नहीं बताना चाहिए. हमें सामाजिक समानता के बारे में सोचने की आवश्यकता है.

सावरकर साहित्य सम्मेलन में बोलते हुए नितिन गडकरी ने पूर्व सरसंघचालक बाला साहब देवरस को उद्धृत करते हुए कहा कि जब भी किसी राष्ट्र में बहुसंख्यक जनसँख्या मुस्लिम समुदाय से होती है तो उस राष्ट्र की धर्मनिरपेक्षता को धक्का लगता है. गडकरी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का अर्थ अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्व दो हिस्सों में बंटा हुआ है- एक हिस्सा कट्टरपंथियों का है जबकि दुसरे वे लोग हैं जो कि लोकतंत्र में यकीन रखते हैं. 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सामाजिक विचारों में डॉ. अंबेडकर और वीर सावरकर के सामाजिक विचारों में बहुत सी समानताएं है. सच यह है कि इस मामले में वीर सावरकर, अंबेडकर से कहीं आगे थे, सावरकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे और मानते थे कि जाति नहीं होनी चाहिए. 

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