'जो वोट दें उनका भी, जो न दें उनका भी करें भला', गडकरी ने बताई लोकतंत्र की पहचान

'जो वोट दें उनका भी, जो न दें उनका भी करें भला', गडकरी ने बताई लोकतंत्र की पहचान
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नई दिल्ली:  केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने कामों की वजह से गडकरी की बजाए ‘रोडकरी’ के तौर पर पहचाने जाते हैं। जी हाँ और उन्होंने देश में सड़कें और फ्लाई ओवर का जाल बिछाने में अपने काम का लोहा मनवाया है। हालाँकि काम के साथ-साथ अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बेबाक राय देने के लिए भी वह मशहूर हैं। आपको बता दें कि एक्सप्रेस अड्डा कार्यक्रम में उन्होंने एक बार फिर डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट, आरएसएस, बीजेपी, कांग्रेस और आप को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है। जी दरअसल उन्होंने अपनी तरह से लोकतंत्र की बड़ी सुंदर व्याख्या की। हाल ही में उन्होंने कहा कि, 'सही मायने में यह वो व्यवस्था है जहां व्यक्ति को- ‘जो वोट दे उसका भी भला, जो वोट ना दे उसका भी करना चाहिए भला’, यह बात याद रखनी चाहिए।'

इसी के साथ उन्होंने पॉलिटिक्स की अनिश्चितता की तुलना क्रिकेट से की और प्रमोद महाजन के साथ के ब्रेबॉन स्टेडियम का एक रोचक किस्सा भी बताया। जी दरअसल नितिन गडकरी ने कहा, ‘जब चुनाव आता है तब हम प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर काम करते हैं। चुनाव खत्म होते ही हम मित्र बन जाते हैं। मैं इमरजेंसी के दौर में राजनीति में आया। मुझे एक अच्छे प्राध्यापक ने बताया था विचारभिन्नता कोई समस्या नहीं है, विचारशून्यता एक समस्या है। लोकतंत्र की मैं आपको परिभाषा बताता हूं। जो लोग आपको वोट देते हैं, उनके लिए तो जरूर काम करें, पर जो लोग आपको वोट नहीं देत, उनके लिए भी काम करें। इसे ही लोकतंत्र कहते हैं।’ वहीं आगे नितिन गडकरी ने कहा, ‘हमारी बीजेपी की एक इमेज थी। एक वक्त ऐसा था जब बीजेपी में लोग धोती और कोट पहना करते थे, टोपी पहनते थे। अब लोग शर्ट-पैंट पहना करते हैं। बीजेपी के तब के दौर में जब हमारी पार्टी के टिकट से कोई हार कर आता था और उसकी डिपॉजिट जब्त होती थी, तब भी उसका सम्मान किया जाता था। मेरे एक कांग्रेसी मित्र थे वे कहा करते थे कि आप आदमी सही हो, गलत जगह पर हो। बीजेपी में रहकर तुम कुछ नहीं कर सकते। कांग्रेस में आ जाओ। मैंने उनसे कहा कि कुएं में कूद जाऊंगा, कांग्रेस में नहीं आऊंगा।आज हम सत्ता में हैं। लेकिन हमने कभी अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया।’

इसी के साथ आप के उदय को लेकर आगे नितिन गडकरी ने कहा, ‘मेरी फिलॉसॉफी इस बारे में अलग है। हमारे देश में लोकतंत्र है। जो व्यक्ति जिस तरह से काम करना चाहता है, उन्हें उस तरह से करने दें। मैं अपनी फिलॉसॉफी पर भरोसा करता हूं। दो रेखाओं के बढ़ने की दो राहें होती हैं। या तो आप दूसरी रेखा को मिटा कर आगे बढ़ें, या अपनी रेखा लंबी करें। मैं पॉजिटिविटी में विश्वास रखता हूं। हम अच्छा काम करेंगे तो जनता हमें चुनेगी। अगर लोग नाकारेंगे तो हम विपक्ष में उतनी ही मजबूती से बैठेंगे। दूसरों पर हम कमेंट नहीं करेंगे।’

इसी के साथ नितिन गडकरी ने कहा, ‘मुझे इस बात पर पक्का यकीन है कि क्रिकेट और पॉलिटिक्स में कुछ भी हो सकता है। एक बार मैं प्रमोद महाजन के साथ मैच देखने के लिए ब्रेबॉन स्टेडियम गया। प्रमोद महाजन तब चुनाव हार गए थे। एक के बाद एक टीम इंडिया के विकेट गिर रहे थे। इसके बाद खिन्न होकर महाजन ने कहा कि मैं जहां जाता हूं वहां हार दिखाई देती है। घर जाता हूं। मैं मैंच देखता रहा। प्रमोद महाजन के जाने के बाद मैच वाकई इंडिया के फेवर में पलट गय और भारत वो मैच जीत गया। राजनीति में भी कोई क्यों जीत गया, क्यों हार गया, कई बार कहना मुश्किल होता है। जनता के फैसले को स्वीकारना होता है।’

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