शिक्षक भर्ती के लिए ऐसा आदेश जारी कर घिरी नितीश सरकार! युवा नाराज़, बिहार में मच सकता है बवाल

शिक्षक भर्ती के लिए ऐसा आदेश जारी कर घिरी नितीश सरकार! युवा नाराज़, बिहार में मच सकता है बवाल
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पटना: बिहार में आज यानी सोमवार (10 जुलाई) से विधानसभा के मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है. राज्य में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच नीतीश सरकार के लिए ये सत्र आसान नहीं रहने वाला है, क्योंकि भाजपा ने अलग-अलग मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक सरकार पर सवाल दागने की तैयारी कर ली है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शिक्षक भर्ती को लेकर हाल ही में राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश का है, जिस पर राज्य में पहले से ही बवाल मचा हुआ है.

बता दें कि, यह विधानसभा सत्र केवल 14 जुलाई तक ही जारी रहेगा. यह पांच दिन सीएम नीतीश कुमार के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं. दरअसल, नितीश सरकार द्वारा हाल ही में शिक्षक भर्ती को लेकर एक आदेश जारी किया गया था, जिसपर जमकर बवाल मचा था। कैबिनेट द्वारा पारित किए गए आदेश पर बवाल मचने की सबसे बड़ी वजह ये थी कि, इस आदेश के बाद सरकारी स्कूल में भर्ती के लिए देश के किसी भी हिस्से से लोग अप्लाई कर सकते हैं. यानी देश के किसी भी हिस्से का व्यक्ति बिहार के सरकारी स्कूल में शिक्षक बन सकता है.पहले इसके लिए केवल बिहार के ही लोग आवेदन कर सकते थे। 

बिहार सरकार के इस फैसले पर राज्य के युवाओं के साथ विपक्ष भी हमलावर हो गया है, भाजपा MLA संजय सारंगी का कहना है कि नीतीश सरकार का ये फैसला बिहार के लाखों युवाओं के साथ धोखा है. शिक्षक भर्ती के लिए बिहार के युवाओं को पहले ही काफी संघर्ष करना पड़ा है, ऐसे में अब ये आदेश सही नहीं है, इसे सरकार को वापस लेना चाहिए. भाजपा के अलावा, बिहार TET शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने एक इंटरव्यू में बिहार सरकार के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि पहले ही कम वेतन और मुश्किल प्रक्रिया के कारण युवाओं को दिक्कतें होती हैं, इनके बावजूद लोग आगे बढ़ते हैं, मगर अब सरकार ने उनका हक छीन लिया है और साथ ही प्रतिभा पर भी सवाल उठाए हैं.

वहीं, इस मामले पर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार ने बिहार में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए ये निर्णय लिया है, अभी साइंस-मैथ्स और अंग्रेजी के शिक्षकों की सीटें रिक्त रह जाती थीं, मगर जब देश के अलग-अलग हिस्सों से युवा आएंगे तब ये दिक्क्त नहीं रहेगी. स्पष्ट शब्दों में कहें तो, बिहार के शिक्षा मंत्री यह कहना चाह रहे हैं कि, बिहार में साइंस, मैथ्स और अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं मिलते, जिन्हे अब दूसरे राज्यों से आवेदन के जरिए लाया जाएगा। इसी पर बिहार के युवा भड़के हुए हैं और आने वाले दिनों में राज्य में इसका विरोध देखने को मिल सकता है।  

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