पटना: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना ही मुख्य एजेंडा है और इसके लिए लगातार प्रयास जारी है यह कहना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. नीतीश ने पटना में एक कार्यक्रम में कहा, 'हम तो मांग करते रहेंगे. बिहार के हित के लिए जो भी मांग करनी हो करेंगे. रविवार को नीति आयोग की बैठक में भी मैंने बिहार को क्यों विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए उसके लिए तर्क भी दिया. आगे भी बिहार के हित की मांग करता रहूंगा.'
गठबंधन पर नीतीश कुमार ने कहा, 'आप लोग गठबंधन के फेर में मत पड़िए, एजेंडा देखिए. मैं कहीं भी रहूं, अपने तीन एजेंडे पर कायम रहता हूं. क्राइम, करप्शन और कम्यूनलिज्म से मैं कभी समझौता नहीं कर सकता. काम मेरे लिए महत्वपूर्ण है. बाकी चीजों से कोई मतलब नहीं रखता.' उन्होंने कहा, 'मैं विशेष दर्जे की मांग जरूर उठाता हूं, लेकिन राज्य के संसाधनों का उपयोग केवल जनता के हित में करता हूं. आजकल बिहार के अखबारों में तेलंगाना राज्य के विज्ञापन अक्सर देखे जाते हैं. विज्ञापन देने के लिए राज्य सरकार को पैसा खर्च करना पड़ता है. अब बिहार के लोगों की तेलंगाना में भला क्या दिलचस्पी हो सकती है?'
उन्होंने कहा, 'मैं अपने प्रचार के लिए इस तरह पैसा खर्च नहीं कर सकता. बिहार के काम को तो अपने आप पूरे देश में प्रचार मिल जाता है. पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. यह बात खुद ब खुद पूरे देश में प्रचारित हो गई.' मुख्यमंत्री सोमवार को पटना में अनुग्रह नारायण सिंह की जयंती और एएन कॉलेज स्थापाना दिवस समारोह में अपनी राय जाहिर कर रहे थे.
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा, 'नीति आयोग की बैठक के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शराबबंदी के बारे में पूछा कि इसे कैसे कर दिया, मैंने उनसे कहा कि अपने टीम भेज कर बिहार में इसका अध्ययन कराइये और देखिए कि कैसे लागू किया गया है.' उन्होंने कहा कि काम कीजिएगा तो अपने आप प्रचार मिल जाएगा. लेकिन हमारे विज्ञापन नहीं देने से प्रेस वाले दुखी होते हैं लेकिन हम तो गांधी जी के रास्ते पर चलते हैं. उन्होंने कहा कि जो जनप्रतिनिधि है वो ट्रस्टी है, मालिक नहीं इसलिए हम प्रचार पर खर्च नहीं करते हैं.
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