रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत देने से आज इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई 17 मई को तय की। अंतरिम जमानत के लिए सोरेन की याचिका, जिसका उद्देश्य मौजूदा लोकसभा चुनावों में उनकी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए प्रचार करना था। इस दौरान उनके वकील और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी उदाहरण दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन को राहत नहीं दी।
हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि, "मेरा मामला अरविंद केजरीवाल के आदेश के अंतर्गत आता है और मुझे चुनाव प्रचार के लिए जमानत की जरूरत है।" न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी, जो मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रहा है। अदालत का यह फैसला झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 3 मई को उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ सोरेन की पिछली याचिका को खारिज करने के बाद आया।
सोरेन के सिब्बल ने आम चुनाव के आसन्न समापन पर प्रकाश डालते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। हालाँकि, अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए सुनवाई 17 मई के लिए निर्धारित की। वकील प्रज्ञा बघेल के माध्यम से दायर अपनी अपील में, सोरेन ने तर्क दिया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करके गलती की है। ED का दावा है कि सोरेन ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, करोड़ों रुपये की मूल्यवान भूमि हासिल करने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करके, फर्जी लेनदेन और जाली दस्तावेजों को शामिल करके अवैध आय उत्पन्न करने की साजिश रची। झामुमो नेता को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्हें रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
बता दें कि, ED ने केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में यही दलील दी थी कि, आरोपित को जमानत देने से एक गलत ट्रेंड स्थापित होगा, भ्रष्ट राजनेता चुनावों का नाम लेकर जेलों से बाहर ही रहेंगे, क्योंकि इतने बड़े देश में कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव का हवा देकर ही केजरीवाल ने समन टाला था। हालाँकि, अदालत ने कहा कि, केजरीवाल पेशेवर अपराधी नहीं हैं, वे निर्वाचित सीएम हैं, और इस समय चुनाव चल रहे हैं, इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत दी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 2 जून को वापस सरेंडर करने के लिए भी कहा है, साथ ही शर्तें लगाई हैं कि दिल्ली के सीएम किसी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे। हालाँकि, केजरीवाल वैसे भी किसी फाइल पर कम ही दस्तखत करते हैं, उन्होंने एक भी विभाग अपने पास नहीं रखा है। इसी कारण LG ने एक बार दिल्ली सरकार की दर्जनों फाइल लौटा भी दी थी क्योंकि उनपर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर ही नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, केजरीवाल सीएम ऑफिस या सचिवालय नहीं जाएंगे, अपने केस से जुड़ी फाइल नहीं देखेंगे, गवाहों से संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे। लेकिन, अब बाहर आकर केजरीवाल गवाहों से संपर्क कर भी लें, तो इसका पता कैसे लगेगा ? बहरहाल, जो राहत सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दी, वो हेमंत सोरेन को नहीं मिली।
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