सरकार ने ख़ारिज किया चेक-इन सामान प्रस्ताव

सरकार ने ख़ारिज किया चेक-इन सामान प्रस्ताव
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नई दिल्ली:  हवाई यात्रियों को राहत देते हुए सरकार ने फिलहाल चेक-इन सामान पर शुल्क लगाने की सस्ती विमान सेवा देने वाली कंपनियों की मांग को खारिज कर दिया है. विमानन कंपनियों ने सरकार से इसकी इज़ाज़त मांगी थी. नागरिक उड्डयन (सिविल एविएशन) राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि इस समय सरकार ने सस्ती विमानन कंपनियों की इस मांग को स्वीकार नहीं किया है, क्योंकि इससे हवाई यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. शर्मा ने बातचीत में कहा, हमें सस्ती विमानन कंपनियों से चेक-इन सामान पर शुल्क लगाने के बारे में प्रस्ताव मिला था. जिसे हमने खारिज कर दिया है और उड्डयन मंत्रालय के स्तर पर इसपर कोई विचार नहीं हो रहा है.

हालांकि, उन्होंने यह भी बताया है कि मंत्रालय ने एयरलाइंस कंपनियों से इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव सौंपने को कहा है और कहा है कि यदि यह हवाई यात्रियों के हित में होगा तो सरकार उसपर विचार कर सकती है. स्पाइसजेट के एक अधिकारी से जब इस बारे पूछा गया, तो उन्होंने कहा, 'नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के मार्च 2015 के परिपत्र में एयरलाइनों को सेवाओं को अलग-अलग करने की परमिशन दी गई है, इसलिए हमने इस बारे में कोई आग्रह नहीं किया. इस मामले पर जब एयर एशिया इंडिया के अधिकारियों से पूछा गया, तो उन्होंने बताया, इस बारे में (सरकार ने एयरलाइंस के आग्रह को खारिज कर दिया) कुछ नहीं सुना.

DGCA फिलहाल 3 विमानन कंपनियों के प्रस्ताव पर गौर कर रहा है. इसमें हवाई यात्रियों को चेक-इन वाले सामान पर प्रत्येक किलो के लिए भुगतान करना होगा. प्रस्ताव में कम से कम सामान ले जाने वाले यात्रियों को प्रोत्साहन का भी प्रावधान है. DGCA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि स्पाइस जेट, इंडिगो और एयरएशिया ने नियामक के सामने 'बिना चेक-इन सामान के किराए' की नई सोच का प्रस्ताव किया. इसमें ऐसे यात्री जिनके पास चेक-इन के लिए कोई सामान नहीं होगा, उन्हें किराए में रियायत दी जाएगी. समझा जाता है कि पूर्ण विमानन सेवा देने वाली कंपनियां भी 'बिना चेक-इन सामान किराए' की योजना के पक्ष में हैं.

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