नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को न्याय मिला, इतने सालों तक उनकी पुकार किसी ने नहीं सुनी। राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (SGPC) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 के बाद दंगों से संबंधित 300 मामलों को फिर से खोला गया और प्रत्येक पीड़ित के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया।
उन्होंने कहा कि, '1984 के सिख विरोधी दंगों को कोई नहीं भूल सकता। मोदी सरकार के सत्ता में आने तक उन दंगों में किसी को सज़ा नहीं हुई। कई जांच आयोग बने लेकिन नतीजे नहीं निकले। लेकिन मोदी सरकार ने SIT बनाई, 300 मामले दोबारा खोले और जो दोषी थे उन्हें जेल भेजना शुरू किया।' उन्होंने आगे कहा कि 3,328 पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा मिला है। शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के तहत उन सिख लोगों को नागरिकता प्रदान की है जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आना चाहते थे।
अमित शाह ने गुरुओं को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, 'मैं सिख धर्म की गुरु परंपरा के प्रति अपना सिर झुकाता हूं। सिख पंथ की 10 पीढ़ियों की गुरु परंपरा ने आक्रमणकारियों के समक्ष अन्याय और बर्बरता के विरुद्ध संघर्ष और बलिदान का उत्कृष्ट उदाहरण दुनिया के सामने रखा है।' 9वें गुरु तेग बहादुर के योगदान का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "कश्मीर में लोगों पर मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ उनका सर्वोच्च बलिदान उनकी महानता को दर्शाता है।" अमित शाह ने सिख धर्म में महिलाओं को सशक्त बनाने की परंपरा के बारे में भी बात की और कहा कि इसकी शुरुआत वर्षों पहले माता खिवी के लंगर की शिक्षा से हुई थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "मुगलों के शासन के खिलाफ लड़ाई से लेकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन और आजादी के संघर्ष तक और अब भी, देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सर्वोच्च बलिदान देने में सिख हमेशा सबसे आगे रहे हैं।"
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