कानून पर भारी पड़ी आस्था, सुप्रीम कोर्ट ने लाऊड स्पीकर से रोक हटाई

कानून पर भारी पड़ी आस्था, सुप्रीम कोर्ट ने लाऊड स्पीकर से रोक हटाई
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मुंबई: अंततः आस्था और धर्म की इस जंग में आस्था कानून पर भारी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी. जिसमें उसने एक स्वीकृत सीमा से ज़्यादा तेज लाउडस्पीकर बनाने पर रोक लगाई थी. इसका मतलब यह हैं कि अब मुंबई में वे 1500 क्षेत्र 'शांत क्षेत्र' नहीं रह पाएंगे जो अस्पतालों. स्कूलों और धार्मिक संस्थानों के आसपास के 100 मीटर के दायरे में आते है. फ़िलहाल इस पर कानूनन रोक नहीं हैं .

उल्लेखनीय हैं कि 1 सितंबर को हाई कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियमों में पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा किए गए उस संशोधन पर रोक लगा दी थी. जिसमें संशोधन करते हुए सभी शांत क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र बना दिया था.सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर व डीवाई चंद्रचूड ने हाई कोर्ट द्वारा 1 सितंबर को दिए गए फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट से इस सम्बंध में और कोई फैसला न देने का निर्देश दे दिया. बता दें कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार के वकील अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि यदि शाब्दिक अर्थ में नियमों समझें तो आप छोटे से भी क्लिनिक. स्कूल और यहाँ तक कि कोर्ट परिसर के आसपास भी लाउडस्पीकर नहीं बजा सकते. यदि ऐसा होता है तो आप पूरा देश शांत क्षेत्र में बदल जाएगा.

इस पर पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ताओं के वकील सीयू सिंह से पूछा कि यदि राज्य में यह रोक हटा ली जाती है तो इसका क्या अर्थ होगा? जवाब में वकील सिंह ने कहा कि तब सरकार गणेश विसर्जन के दौरान लाउडस्पीकर बजाना मंजूर कर देगी. वहीं महाधिवक्ता मेहता ने तो यहाँ तक कहा कि यदि कानूनों का कड़ाई से पालन हो. तो सुप्रीम कोर्ट के लॉन तक में भी कोई समारोह नहीं हो सकता. इस पर पीठ ने कहा कि वह हम देख लेंगे.

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