कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को आगे आना चाहिए: विदेश मंत्री

कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को आगे आना चाहिए: विदेश मंत्री
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नई दिल्ली: जर्मनी की विदेश मंत्री का कहना है कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को आगे आना चाहिए। जी दरअसल ऐसा उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी द्वारा चढ़ाए जाने के बाद कहा है। आपको बता दें कि भारत लगातार यह कहता रहा है कि ‘कश्मीर’ भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसमें किसी अन्य देश की दखलअंदाजी स्वीकार्य नहीं है। वहीं जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के आह्वान ने भारत को एक बार फिर वही बात दोहराने पर मजबूर कर दिया है कि ‘कश्मीर मुद्दा’ भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है।

आपको बता दें कि भारत ने बीते शनिवार को पाकिस्तान और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के इस आह्वान को खारिज कर दिया कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) को शामिल करना चाहिए। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के लिए UN को आगे लाने का आह्वान करने के बजाय वैश्विक समुदाय के सभी कर्तव्यनिष्ठ सदस्यों की जिम्मेदारी है कि वे पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों से निपटने का प्रयास करें, जिन्होंने लंबे वक्त से जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाया है। जी दरअसल बागची ने जर्मनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बयानों का कड़ा संज्ञान लिया और कहा कि, 'जम्मू कश्मीर दशकों से आतंकवाद का खामियाजा भुगत रहा है और यह अब तक जारी है। दुनिया की जिम्मेदारी है कि वे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, खासतौर से सीमा पार (पाकिस्तान) के आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाएं।'

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जी दरअसल बागची बीते शुक्रवार को बर्लिन में पाकिस्तान और जर्मनी के विदेश मंत्रियों द्वारा एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में जम्मू-कश्मीर पर की गई टिप्पणियों का जवाब दे रहे थे। इसी के साथ बागची ने कहा, ‘वैश्विक समुदाय के सभी गंभीर और कर्तव्यनिष्ठ सदस्यों की अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, खासतौर से सीमा पार के आतंकवाद को खत्म करने की भूमिका और जिम्मेदारी है।’

इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर ने दशकों से इस तरह के आतंकवाद का खामियाजा भुगता है। यह अब तक जारी है।’ इसी के साथ बागची ने कहा कि विदेशी नागरिक वहां और भारत के अन्य हिस्सों में भी इससे पीड़ित हुए हैं। जी हाँ और उन्होंने यह भी कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और एफएटीएफ अभी भी 26/11 के भीषण हमलों में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादियों के पीछे लगे हैं।’

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इसी के साथ बागची ने कहा, ‘जब देश स्वार्थ या उदासीनता के कारण ऐसे खतरों को नहीं स्वीकार करते, तो वे शांति के उद्देश्य को कमजोर करते हैं और उसे बढ़ावा नहीं देते हैं। वे आतंकवाद के पीड़ितों के साथ भी गंभीर अन्याय करते हैं।’

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