नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक कार्यक्रमों से अनुपस्थित रहने के कारण एक बार फिर सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। उनके ठिकाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं, खास तौर पर 11 जुलाई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से उनकी बातचीत के बारे में फर्जी खबरें प्रसारित होने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी गैर मौजूदगी चर्चा का विषत बन गई है। बीते तीन दिनों से राहुल गांधी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी कोई ट्वीट नहीं किया गया है, ना उन्हें किसी सार्वजनिक जगह पर देखा गया है और ना ही उनका कोई बयान सामने आया है। अभी मौजूदा जो कांवड़ में दुकानदारों के नाम वाला मामला चल रहा है, उस पर भी राहुल गांधी का बयान या ट्वीट देखने को नहीं मिला है. कांग्रेस भी इस बात पर मौन है। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग कयास लगा रहे हैं कि, क्या संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष के नेता गुप्त यात्रा पर विदेश निकल चुके हैं, क्योंकि वे पहले भी भारत में जी20 शिखर सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण समय के दौरान गुप्त यात्राएं कर चुके हैं।
Where is Rahul Gandhi?
— Tathvam-asi (@ssaratht) July 19, 2024
Can anyone find him?
Why is no media asking for him when so much drama is unfolded in Karnataka?#RahulGandhiLapatha #WhereIsRahulGandhi pic.twitter.com/Pd3Gk5OUHh
अपनी यूरोप यात्रा के दौरान, राहुल गांधी बेल्जियम में यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ एक बैठक में शामिल हुए थे, जिन्होंने मणिपुर पर भारत विरोधी प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने फाउंडेशन द लंदन स्टोरी (FTLS) द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक चर्चा में भी भाग लिया था, जिसका संबंध जमात ए इस्लामी और ISI जैसी भारत विरोधी संस्थाओं से है। यह संगठन सुनीता विश्वनाथ और राशिद अहमद जैसे व्यक्तियों से जुड़ा हुआ है, जो अपने भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। सुनीता विश्वनाथ, अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि है, वही सोरोस जो राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 अरब डॉलर देने का ऐलान का चुके हैं। इससे सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी इस संगठन और ऐसे लोगों से क्यों जुड़े ?
यूरोप दौरे के दौरान राहुल गांधी ने इतालवी वामपंथी राजनीतिज्ञ फैबियो मासिमो से मुलाकात की, जिनके पाकिस्तानी एजेंसी ISI के एजेंट परवेज इकबाल से संबंध हैं। परवेज इकबाल आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से भी जुड़े हैं, जो खालिस्तान की वकालत करने वाला और भारत में अशांति पैदा करने वाला समूह है। फैबियो मासिमो कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी प्रचार करने में शामिल रहे हैं। 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले भी राहुल गांधी अमेरिका गए थे। उनके अधिकतर विदेश दौरे भारत के लोकतंत्र आलोचना करने, और भारत में मुसलमानों को खतरे में दिखाने के एजेंडे पर केंद्रित रहते हैं।
…their entire family (the Gandhis) have all along had association with businessmen, including him (Rahul Gandhi). He (Rahul) goes abroad and meets undesirable businessmen…
— BJP (@BJP4India) April 9, 2023
- Ghulam Nabi Azad
Rahul Gandhi must explain who are these businessmen he meets and for what purpose? pic.twitter.com/2juk0GlvhW
अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की करीबी सहयोगी सुनीता विश्वनाथ के साथ उनकी मुलाकात ने भी विवाद को जन्म दिया था। सोरोस ने पीएम मोदी को सत्ता से हटाने और भारत में राष्ट्रवाद के खिलाफ प्रयासों को फंड करने के इरादे व्यक्त किए हैं। जमात ए इस्लामी, ISI और सोरोस से जुड़े व्यक्तियों के साथ राहुल गांधी के संबंध भारत को कमजोर करने की संभावित साजिश का संकेत देते हैं। पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी एक बार दावा कर चुके हैं कि गाँधी परिवार के कई विदेशी व्यापारियों से संबंध हैं और राहुल गांधी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान अक्सर अवांछनीय व्यापारियों से मिलते हैं। आजाद ने बताया था कि राहुल और उनके परिवार के विदेश में कई उद्योगपतियों से संबंध हैं, जिनमें कुछ अवांछनीय लोग भी शामिल हैं। हालाँकि, आजाद ने फिर भी गांधी परिवार के प्रति सम्मान व्यक्त किया और कहा था कि ''मेरे अंदर उस परिवार के लिए बहुत सम्मान है, वरना मैं बताता कि वह देश से बाहर कहां-कहां गए थे और किन उद्योगपतियों से मिले थे। यहां तक कि ऐसे लोगों से भी मिले, जो अनडिजायरेबल बिजनेसमैन थे।''
हालाँकि, बीते कुछ दिनों से देशभर में घूम-घूमकर दौरे कर रहे राहुल गांधी की अचानक अनुपस्थिति और इस पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष की चुप्पी ने कई अटकलों को जन्म दिया है। साथ ही ये कयास भी लगने लगे हैं कि कहीं वे बजट सत्र से पहले की रणनीति बनाने विदेश तो नहीं चले गए हैं ?
भारत को हथियार नहीं देगा तुर्की, लगाया प्रतिबंध ! इस फैसले पर विदेश मंत्रालय ने दिया दो टूक जवाब
पीएम मोदी के 100 मिलियन फॉलोवर्स होने पर एलन मस्क ने दी बधाई, X पर लिखी ये पोस्ट