टॉयलेट नहीं होना महिला के प्रति क्रूरता,फैमिली कोर्ट ने तलाक याचिका मंजूर की

टॉयलेट नहीं होना महिला के प्रति क्रूरता,फैमिली कोर्ट ने तलाक याचिका मंजूर की
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भीलवाड़ा : एक ओर देश में स्वच्छता अभियान के तहत पूरे देश में शौचालय निर्माण किये जा रहे है, वहीं भाजपा शासित राजस्थान राज्य की भीलवाड़ा फैमिली कोर्ट ने अपने ऐतिहासिकफैसले में घर में टायलेट नहीं होने को क्रूरता मानते हुए एक महिला की तलाक की याचिका मंजूर कर ली.

बता दें कि एक महिला ने अपनी याचिका में कहा कि ससुराल में शौचालय नहीं होने की वजह से वह पीहर (पिता की घर) में रह रही है. बार-बार कहने पर भी उसके पति और ससुराल वाले घर में शौचालय नहीं बनवा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि फैमिली कोर्ट की जज राजेंद्र कुमार शर्मा ने महिलाओं की पीड़ा से सहमति जताते हुए कहा कि ग्रामीण महिलाएं शौच के लिए रात होने की प्रतीक्षा करती हैं. तब तक वह बाहर नहीं जा सकती है. किसी ने यह महसूस किया कि उन्हें कितनी शारीरिक और मानसिक पीड़ा होती होगी. खुले में शौच की कुप्रथा समाज पर कलंक और महिला के प्रति क्रूरता है.

आपको जानकारी दे दें कि भीलवाड़ा के फैमिली कोर्ट एक महिला ने शिकायत की थी कि उसकी शादी 2011 में हुई थी लेकिन घर में कमरा और शौचालय तक नहीं था. 2015 तक ससुराल वालों को कहा कि शौचालय बनवा दें, बाहर जाने में शर्मिंदगी होती है लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया . महिला ने ये शिकायत 2015 में की थी. वह दो साल से अपने पीहर रह रही है और इसी आधार पर तलाक की अर्जी फैमिली कोर्ट में लगाई थी जिसे कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया.

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