नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 सितंबर) को ग्रीन पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने दिवाली से पहले दिल्ली में पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली की केजरीवाल सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि 2018 के प्रतिबंध को सभी अधिकारियों द्वारा विधिवत लागू किया जाएगा।
बता दें कि, 14 सितंबर को जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की दो जजों की बेंच ने मामले की लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या ग्रीन पटाखों के निर्माण और उपयोग की अनुमति दी जा सकती है या नहीं और इस मुद्दे पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष अदालत पटाखों से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक याचिका भाजपा नेता मनोज तिवारी ने 2022 में दिल्ली में दिवाली समारोह के दौरान पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए दायर की थी। एक दिन पहले 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की थी कि वह इस दिवाली सीजन के दौरान दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध में हस्तक्षेप नहीं करेगा। बता दें कि, दिल्ली सरकार की ओर से दोबारा प्रतिबंध लगा दिया गया है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने संकेत दिया कि दिवाली मनाने के लिए कुछ अलग तरीके अपनाए जाने चाहिए। ऐसा तब हुआ जब भाजपा के लोकसभा सांसद मनोज तिवारी ने अदालत के समक्ष कहा कि अदालत द्वारा ग्रीन पटाखों को फोड़ने की अनुमति देने के बावजूद प्रतिबंध फिर से लगाया गया है।
तिवारी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि, "इस अदालत के आदेशों के बावजूद कई राज्य पूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं।" इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि, ''स्थानीय तौर पर अगर कोई प्रतिबंध है तो प्रतिबंध है। हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे। आप जश्न मनाने के अन्य तरीके ढूंढ सकते हैं। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी न करे। बता दें कि, हर साल, दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध का मुद्दा उठता है, जिसमें पतझड़ के मौसम में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में होने वाले गंभीर वायु प्रदूषण के लिए हिंदू उत्सव को जिम्मेदार ठहराया जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण में त्योहार का योगदान नगण्य और अस्थायी है, इसके बावजूद हर साल दिवाली को लक्षित किया जाता है, जिसका प्रमुख कारण पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाना, वाहन और निर्माण गतिविधियाँ, मौसम का मिजाज और क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति है।
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