संभल-बदायूँ या अजमेर में ही नहीं... कोर्ट में इन विवादित-मस्जिदों का चल रहा हैं मामला

संभल-बदायूँ या अजमेर में ही नहीं... कोर्ट में इन विवादित-मस्जिदों का चल रहा हैं मामला
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भारत के इतिहास में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो विवाद का केंद्र बने हुए हैं। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद से शुरू हुआ यह मुद्दा सिर्फ एक स्थल तक सीमित नहीं है। काशी और मथुरा समेत कई स्थानों पर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि इस्लामी आक्रमणकारियों ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं। इन स्थलों को वापस पाने के लिए हिंदू पक्ष कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। इनमें से कई मामलों में अदालतों ने सर्वेक्षण और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर निर्णय देने की प्रक्रिया शुरू की है। इस लेख में हम आपको 10 प्रमुख मामलों के बारे में बताएंगे, जिनका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।

1. कमाल मौला मजार बनाम भोजशाला (मध्य प्रदेश)
धार जिले में स्थित भोजशाला, हिंदू परंपरा के अनुसार माता सरस्वती का मंदिर है। यहां संस्कृत श्लोक और देवी-देवताओं के चित्र आज भी मौजूद हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस स्थान पर सदियों पहले मुसलमानों ने कमाल मौला मजार का निर्माण किया, जिसके बाद इसे नमाज के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।

अदालती स्थिति:
मार्च 2024 में, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। ASI की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि यह ढांचा मूलतः एक मंदिर के अवशेषों पर बना है। रिपोर्ट में कहा गया कि खंभों और दीवारों पर बने भित्तिचित्रों में देवताओं की छवियां और प्राचीन मंदिर की वास्तुकला स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

2. अटाला मस्जिद बनाम अटाला देवी (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थल अटाला माता के मंदिर का था, जिसे कन्नौज के राजा जयचंद्र ने बनवाया था। 14वीं शताब्दी में फिरोज शाह और इब्राहिम शाह ने इसे नष्ट कर मस्जिद का निर्माण किया।

अदालती स्थिति:
मई 2024 में वकील अजय प्रताप सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर ऐतिहासिक पुस्तकों और पुरातत्व विभाग की रिपोर्टों का हवाला दिया। मामला फिलहाल अदालत में लंबित है।

3. टीले वाली मस्जिद बनाम शेषनाग मंदिर (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष का कहना है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में यहां भगवान शेषनाग के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई।

अदालती स्थिति:
2013 में दायर याचिका में दावा किया गया कि मस्जिद जिस भूमि पर स्थित है, वह हिंदू पक्ष की है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है।

4. अजमेर दरगाह बनाम शिव मंदिर (राजस्थान)
हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह और पास का "अढ़ाई दिन का झोपड़ा" पहले भगवान शिव का मंदिर था।

अदालती स्थिति:
हिंदू पक्ष ने गर्भगृह और मंदिर की संरचना की जांच के लिए सर्वेक्षण की मांग की। याचिका में 1911 में लिखी गई एक ऐतिहासिक पुस्तक और संरचना के अवशेषों का हवाला दिया गया है।

5. संभल जामा मस्जिद बनाम हरि हर मंदिर (उत्तर प्रदेश)
याचिका में कहा गया कि जामा मस्जिद का निर्माण हरि हर मंदिर के स्थान पर हुआ, जिसे भगवान कल्कि को समर्पित किया गया था।

अदालती स्थिति:
संभल कोर्ट ने नवंबर 2024 में मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हिंसा हुई, जिससे मामला और जटिल हो गया।

6. बदायूँ जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद नीलकंठ महादेव मंदिर के अवशेषों पर बनी है।

अदालती स्थिति:
2022 में दायर याचिका में हिंदू पक्ष ने मंदिर में पूजा-अर्चना के अधिकार की मांग की। अगली सुनवाई 10 दिसंबर 2024 को होगी।

7. फतेहपुर जामा मस्जिद बनाम कामाख्या मंदिर (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि जामा मस्जिद का निर्माण मां कामाख्या के मंदिर को तोड़कर किया गया।

अदालती स्थिति:
ASI की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के निर्माण में हिंदू और जैन मंदिर के अवशेषों का उपयोग हुआ। याचिका अभी अदालत में लंबित है।

8. शाही ईदगाह बनाम कृष्ण जन्मस्थान (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष का कहना है कि यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान का हिस्सा था, जिसे औरंगजेब के समय में तोड़कर मस्जिद बनाई गई।

अदालती स्थिति:
निचली अदालत ने 13.37 एकड़ भूमि पर दावा स्वीकार कर सर्वे का आदेश दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया।

9. ज्ञानवापी मस्जिद बनाम काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश)
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों पर बनी है।

अदालती स्थिति:
ASI सर्वे में मंदिर के अस्तित्व के प्रमाण मिले। जनवरी 2024 में अदालत ने हिंदू पक्ष को तहखाने में पूजा की अनुमति दी। मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

10. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाम हिंदू-जैन मंदिर (दिल्ली)
याचिका में कहा गया कि मस्जिद के स्थान पर 27 मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया।

अदालती स्थिति:
निचली अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी। मामला ऊपरी अदालत में लंबित है।

इन मामलों में अदालतें ऐतिहासिक प्रमाणों और सर्वेक्षणों के आधार पर निर्णय ले रही हैं। इनके समाधान से देश के सामाजिक और धार्मिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

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