नागपुर: बागेश्वर धाम सरकार के नाम से चर्चित महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा शिकायत के मामले में नागपुर पुलिस ने क्लीनचिट दे दी है। पुलिस ने कहा है कि वीडियो में देखने में अंधश्रद्धा या अंधविश्वास जैसा कुछ नहीं है। पुलिस ने अपना लिखित जवाब अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष एवं शिकायतकर्ता श्याम मानव को भेजा है। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री की नागपुर में 'श्रीराम चरित्र चर्चा' आयोजित हुई थी। इसके विरुद्ध महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने नागपुर पुलिस से शिकायत की थी। समिति ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास एवं जादू-टोना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।
वही इस शिकायत पर नागपुर पुलिस ने तहकीकात के पश्चात् अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति को जवाब भेजा है। इसमें पुलिस ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को क्लीनचिट दी थी। अपनी रिपोर्ट में नागपुर पुलिस ने कहा है कि वीडियो में देखने पर स्पष्ट हुआ है कि इसमें धर्म के प्रचार से जुड़ी सामग्री है, इसमें अंधश्रद्धा जैसी कोई चीज दिखाई नहीं दी। बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित है। यहां के महाराज धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य चमत्कारी दरबार' लगाते हैं। यहां वो दावा करते हैं कि उन्हें आपके बारे में सब पता है। वहां आने वाले लोग पर्ची में अपनी परेशानी लिखते हैं तथा धीरेंद्र शास्त्री उनके बताए बिना ही अपनी पर्ची में उनकी समस्या लिख देते हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने जनवरी में 'श्रीराम चरित्र चर्चा' नागपुर में आयोजित की थी। ये कथा 13 जनवरी तक चलनी थी। किन्तु 11 जनवरी को ही समाप्त हो गई थी। बताया जा रहा था कि महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की शिकायत के चलते ऐसा हुआ। समिति ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास एवं जादू-टोना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।
इसके साथ ही समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा, धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य दरबार' एवं 'प्रेत दरबार' की आड़ में 'जादू-टोना' को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी करने एवं उनका शोषण करने का आरोप भी लगाया। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती भी दी कि यदि वो उनके बीच दिव्य दरबार लगाते हैं तथा चमत्कार करके दिखाते हैं तो वो उन्हें 30 लाख रुपये देंगे। समिति का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य दरबार' नाम से जो सभा करते हैं, उसमें दो कानूनों का उल्लंघन होता है। पहला है- 2013 का महाराष्ट्र का जादू-टोना विरोधी कानून और दूसरा है- 1954 का ड्रग्स एंड रेमेडीज एक्ट।हालांकि, इन आरोपों पर धीरेंद्र शास्त्री ने दावा किया कि वो कोई अंधविश्वास नहीं फैला रहे हैं और न ही किसी की परेशानी दूर कर रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने ये भी कहा था कि 'हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार।' इसके पश्चात् से धीरेंद्र शास्त्री के दावों को लेकर देशभर में जंग छिड़ी है। कुछ लोग इसे आस्था का मुद्दा बता रहे हैं, तो कुछ लोग अंधविश्वास बताकर धीरेंद्र शास्त्री पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
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