भोपाल: सोमवार को RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश में प्रभु श्री राम के साथ-साथ रोटी भी चाहिए, जिसका तात्पर्य उद्योग, धन एवं रोजगार से है क्योंकि दोनों मिलकर ही भारत की सभ्यता हैं। 'स्वदेशी जागरण मंच' के स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत भोपाल समेत 16 जिलों के जिला रोजगार सृजन केंद्रों के लोकार्पण के मौके पर मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा कि यह पूरे देश के लोगों के मन की इच्छा एवं आकांक्षा थी कि यूपी के अयोध्या में प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बने।
होसबाले ने कहा कि देश में हमने अस्मिता एवं संस्कृति की रक्षा की। (भगवान राम का) एक मंदिर अयोध्या में बने, यह पूरे देश के लोगों के मन की इच्छा एवं आकांक्षा थी। वह सिर्फ एक राम मंदिर की। मंदिर तो हर एक गली में अपने देश में हैं। वह क्यों था? देश की अस्मिता के साथ एवं संस्कृति के साथ जुड़ी हुई भावना थी। इसलिए एक भावना उजागर हुई। राम है तो रोटी भी चाहिए। राम एवं रोटी दोनों ही मिलकर भारत की सभ्यता हैं। रोटी का मतलब उद्योग है, धन है, लोगों का रोजगार और स्वावलंबी जीवन है। होसबाले ने भारतीय बैंकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले एवं देश छोड़कर भागने वाले व्यापारियों पर हमला बोलते हुए कहा कि अफसरों ने उन्हें पकड़ने के लिए बहुत कम काम किया है। कई लोगों ने करोड़ों रुपये का भारी नुकसान पहुंचाया है। आप उन्हें पकड़ने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। हम सब कुछ जानते हैं। कुछ लोगों (कारोबारियों) ने बैंकों के साथ क्या किया है... क्या हमने उन्हें जेल भेजा है? कुछ भी नहीं किया गया है। एक युवा द्वारा 10 लाख रुपये (का कर्ज) नहीं चुकाने के बारे में अधिक चिंता है।
रोजगार सृजन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर जोर देते हुए होसबाले ने कहा कि उनकी यात्राओं के चलते उन्हें ऐसे युवा मिले हैं जो निराशा महसूस करते हैं। ये (युवा) बोलते हैं कि सरकार की नीति अच्छी है, मगर जब वे (अफसरों) से संपर्क करते हैं तो उन्हें (वित्तीय) सहायता नहीं मिलती है। इससे युवा निराश हो जाते हैं। क्या यह अच्छी व्यवस्था है? जब कोई उत्साही युवा कुछ हासिल करना चाहता है, तो उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए। मेरा अर्थ यह नहीं है कि आप उन पर विश्वास करते हुए उन्हें करोड़ों रुपये का कर्ज दे दें। होसबाले ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को उचित परामर्श दिया जाना चाहिए। लोगों को उन युवाओं का समर्थन करना चाहिए जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं। भारत में स्थानीय स्तर पर भी लोगों को रोजगार प्राप्त होने की व्यवस्था थी। मगर किन्हीं कारणों से हम रोजगार के मामले में पिछड़ गए। आजाद भारत में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए जो कोशिश की जानी चाहिए थी, नहीं हुई। हमें आज इस बात पर गौर करना चाहिए कि कैसे हम अपने स्तर पर रोजगार को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं। रोजगार के लिए एक इकोसस्टिम बनाने की आवश्यकता है।
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