लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर इस साल के बजट में उत्तर प्रदेश राज्य को पर्याप्त धनराशि आवंटित नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने 2024 के बजट में विभिन्न राज्यों के बीच कथित पक्षपात और असंतुलन को लेकर विपक्षी दलों के गुस्से और विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हितों पर राजनीतिक लाभ को प्राथमिकता दी है।
एक्स पर एक पोस्ट में बसपा सुप्रीमो ने कहा कि, "NDA सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए बजट में राष्ट्रीय और जनहित के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए विभिन्न राज्यों के बीच भेदभाव, पक्षपात और असंतुलन के खिलाफ गुस्सा और विरोध स्वाभाविक है, हालांकि केंद्र द्वारा ऐसा सौतेला व्यवहार आज कोई नई बात नहीं है। बसपा ने यूपी में भी इसका सामना किया है।" बसपा प्रमुख मायावती ने नीति आयोग की बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के भाग न लेने के फैसले का समर्थन किया। मायावती ने कहा कि, "केंद्रीय बजट से नाखुश और व्यथित गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इस संबंध में नीति आयोग की बैठक में भाग न लेने का निर्णय लिया है, जबकि यूपी जैसे गरीब और पिछड़े राज्य, जिसकी आबादी बहुत अधिक है, को बजट में समुचित ध्यान न देना कितना उचित है? केंद्र को देश और जनहित को प्राथमिकता देने की जरूरत है।"
बता दें कि इससे पहले, कुछ गैर-NDA राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस वर्ष के बजट में गैर-एनडीए राज्यों को धन के निष्पक्ष आवंटन का आरोप लगाते हुए 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। अपने बयान में एमके स्टालिन ने कहा, "हालांकि बजट में भाजपा के सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्यों के लिए घोषणाएं शामिल हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इन राज्यों को वादा किए गए फंड मिलेंगे, जैसे कि तमिलनाडु को पिछले तीन वर्षों से चेन्नई मेट्रो के लिए फंड नहीं दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे बजट भाषण में 'तमिल' या 'तमिलनाडु' शब्द एक बार भी नहीं आया। तमिलनाडु की इस घोर उपेक्षा के मद्देनजर, मैंने 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। तमिलनाडु के आलावा, कांग्रेस शासित, हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक, तथा AAP शासित पंजाब और दिल्ली ने भी इस बैठक का बहिष्कार किया है।
बजट में राज्यों को लेकर क्या है घोषणा ?
बजट दस्तावेज के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को 42,277.77 करोड़ रुपये का बजट दिया है, जो पिछली बार से 1.2 फीसद अधिक है। साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए भी 9,789.42 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। वहीं, पूर्वोदय राज्यों, यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करके एक योजना चलाने का लक्ष्य है। इसके अलावा बजट में सरकार ने घोषणा की है कि, वो असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई भी करेगी। हर एक राज्य का अलग से विवरण तो बजट सम्बोधन में नहीं है, लेकिन बजट दस्तावेज़ के अनुसार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 23,48,980 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 12 फीसदी अधिक है। ऐसे में ये आरोप तथ्यहीन और राजनीति प्रेरित ही लगता है कि, आंध्र-बिहार को छोड़कर किसी अन्य राज्य को कुछ नहीं दिया गया, या गैर NDA राज्यों की अनदेखी की गई। हालाँकि, विपक्ष इन आरोपों को हवा देने में लगा है, क्योंकि इससे उसे सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी। इसी कारण पूरे INDIA गठबंधन ने नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार किया है। हालाँकि, यदि अन्याय हुआ है, तो राज्यों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है। जब दिल्ली की AAP सरकार ये शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है कि हरियाणा हमारे हिस्से का पानी नहीं दे रहा, तो INDIA गठबंधन भी जा सकता है कि केंद्र हमारे हिस्से के पैसे नहीं दे रहा। लेकिन आरोप को सुप्रीम कोर्ट में साबित करना पड़ेगा, जो कि AAP सरकार भी नहीं कर पाई थी। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2024-25 में भारत सरकार को टैक्स और ड्यूटी से 38.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई है. इसमें से केंद्र 12.47 लाख करोड़ यानी 32% राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को ट्रांसफर करेगी। इस बार सर्वाधिक टैक्स यूपी को ही मिलेगा. राज्य को केंद्र सरकार 2.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी देगी।
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