नई दिल्ली : लोकसभा में नेता विपक्ष नहीं होने के कारण लंबित लोकपाल चयन मामले को सुप्रीमकोर्ट की अनुमति मिल गई है. सरकार नेता विपक्ष के बगैर भी लोकपाल का चयन कर सकती है.कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून में स्पष्ट उल्लेखित है कि चयन समिति में रिक्तता के कारण लोकपाल और सदस्यों की नियुक्ति गैरकानूनी नहीं होगी.
बता दें कि लोकपाल नियुक्ति को लेकर सुप्रीमकोर्ट में लंबित दो याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नेता विपक्ष के बगैर भी चयन समिति के अन्य सदस्य (संक्षिप्त चयन समिति) न सिर्फ नियुक्ति के नामों का पैनल तैयार करने के लिए सर्च कमेटी गठित कर सकते है, बल्कि राष्ट्रपति से लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्त की सिफारिश भी कर सकते हैं.लोकपाल कानून 16 जनवरी 2014 से लागू हो चुका है लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष न होने के कारण लोकपाल और उसके सदस्यों की नियुक्ति का मामला लंबित है.
उल्लेखनीय है कि लोकपाल कानून के अनुसार राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिश पर लोकपाल और सदस्यों की नियुक्ति करेंगे. चयन समिति में कुल पांच लोग होंगे. प्रधानमंत्री चयन समिति के अध्यक्ष होंगे. लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता विपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सुप्रीमकोर्ट का न्यायाधीश तथा विख्यात न्यायविद चयन समिति के सदस्य होंगे. विख्यात न्यायविद की नियुक्ति राष्ट्रपति चयन समिति के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की सिफारिश पर होगी . लेकिन अब कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि कोई पद रिक्त होने से लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति गैर कानूनी नहीं होगी.
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