पुणे: पुणे जिला कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कथित तौर पर महिला वकीलों के लिए एक ऐसा नोटिस जारी किया, जिसको लेकर बवाल शुरू हो गया। जी दरअसल यहाँ पुणे जिला अदालत रजिस्ट्रार द्वारा कथित तौर पर जारी नोटिस के मुताबिक, महिला वकीलों को अदालत में बालों को नहीं संवारने के लिए कहा गया, क्योंकि इससे न्यायालय की कार्यवाही बाधित होती है या विचलित होती है। हालाँकि बाद में पुणे बार एसोसिएशन ने कहा है कि, 'अब तक उसे ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है।'
जी दरअसल, सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने नोटिस का फोटो ट्वीट किया था, जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- 'देखो! महिला वकीलों की वजह किसका ध्यान भटक रहा है और क्यों।' अपको बता दें कि कथित तौर पर 20 अक्टूबर को जारी किए गए नोटिस में कहा गया, 'यह बार-बार देखा गया है कि महिला वकील खुली अदालत में अपने बालों को संवारती हैं, जो अदालत के कामकाज में डिस्टर्ब करती हैं। इसलिए महिला अधिवक्ताओं को इस तरह के कृत्य से परहेज करने के लिए कहा गया।'
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उसके बाद इस नोटिस में पुणे जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार का सिग्नेचर भी दिखा। सामने आने वाली खबर के मुताबिक, हालांकि, पुणे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट पांडुरंग थोर्वे ने कहा है कि उनके कार्यालय को ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है। वकीलों को जारी गए सभी नोटिस पुणे बार एसोसिएशन को भेजे जाता हैं, हालाँकि अब तक हमें ऐसा कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। दूसरी तरफ सूत्रों ने बताया कि शनिवार को आपत्ति जताए जाने के बाद नोटिस वापस ले लिया गया।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि, 'हालांकि कुछ रिपोर्टों से पता चला है कि शनिवार को नोटिस वापस ले लिया गया था। मगर यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि शनिवार को दिवाली की छुट्टियां शुरू होने से पहले शुक्रवार को अदालत के कामकाज का आखिरी दिन था।' सामने आने वाली रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस के बारे में पूछे जाने पर, थोर्वे ने कहा कि अदालत मर्यादा बनाए रखने के लिए मानदंडों के एक सेट के साथ काम करती है। जब तक हम नोटिस नहीं देख लेते, तब तक इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।
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