नई दिल्ली : भारत द्वारा दक्षिण एशियाई देशों के लिए 450 करोड़ रुपये की एक खास योजना से समताप मंडलीय कूटनीति तैयार की जा रही है। दक्षिण एशियाई उपग्रह के माध्यम से अपने पड़ोसी देशों को उपहार प्रदान करेगा। जी हां, अंतरिक्ष में भारत कई नए कदम रख चुका है। कुछ समय पूर्व ही वह 104 सैटेलाईट सफलता के साथ प्रक्षेपित कर चुका है। अब भारत अपनी एक योजना बना रहा है जिसमें वह पड़ोसी देशों के लिए भी विकास के द्वार खोल रहा है।
यह नीति सबका साथ और सबका विकास के आधार पर काम करेगी। इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत पड़ोसियों हेतु खुले दिल से स्वागत कर रहा है। हालांकि किसी और देश को वित्तीय प्रबंध करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस तरह के प्रोजेक्ट को लेकर इंजीनियर प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि इस परियोजना से गरीब राष्ट्रों को मदद मिलेगी। इस मिशन के तहत नाॅटी बाॅय नाॅटी हलचल करेगा।
जी हां, दरअसल 5 मई को बंगाल की खाड़ी के तट पर श्रीहरिकोटा से इसरो का नौटी बॉय अपने 11वें मिशन पर निकलेगा। इस राॅकेट का भार 412 टन और लगभग 50 मीटर लंबाई होगी। यह अपने साथ दक्षिण एशिया उपग्रह लेकर जएगा। साथ ही शांति का संदेश देगा। इसे इसरो ने जी सैट 9 श्रेणी में रखा है।
इस प्रोजेक्ट पर करीब 235 करोड़ रूपए की कीमत आई है यह अंतरिक्ष आधारित तकनीक पर काम कर रहा है। यह उपग्रह टेलिकम्यूनिकेशन और प्रसारण संबंधी सेवाओं जैसे. टीवीए डीटीएचए वीसैट टेलिएजुकेशन टेलिमेडिसिन और आपदा प्रबंधन सहयोग को संभव बनाएगा। इस उपग्रह में भागीदार देशों के बीच हॉट लाइन उपलब्ध करवाने की भी क्षमता है। चूंकि यह क्षेत्र भूकंप, चक्रवातों,बाढ़,सुनामी आदि के लिहाज से संवेदनशील है इसलिए यह आपदा के समय पर उपयोगी संवाद लिंक स्थापित करने में भी मदद कर सकता है।
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