नई दिल्ली: अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट (Wallmart) चीन पर अपनी निर्भरता कम करके और भारत से आयात बढ़ाकर अपनी सोर्सिंग रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव कर रही है। यह बदलाव अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने का लक्ष्य रखने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच एक व्यापक प्रवृत्ति के अनुरूप है। इस रणनीतिक कदम से न केवल वॉलमार्ट को फायदा होता है बल्कि भारत में स्थानीय उद्योग को भी मजबूती मिलती है।
सोर्सिंग पैटर्न बदलना:-
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वॉलमार्ट ने 2023 में जनवरी और अगस्त के बीच अमेरिकी बाजार के लिए अपना 60% सामान चीन से खरीदा, जो 2018 में 80% से उल्लेखनीय गिरावट है। इसके विपरीत, खुदरा दिग्गज ने अपना लगभग 25% सामान भारत से आयात किया इसी अवधि के दौरान, 2018 में मात्र 2% से पर्याप्त वृद्धि प्रदर्शित हुई। जैसे ही वॉलमार्ट और अन्य बहुराष्ट्रीय निगम चीन का विकल्प तलाश रहे हैं, भारत एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभर रहा है। देश का लागत प्रभावी श्रम बाजार इसके निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य बनाता है, जिससे प्रमुख खुदरा विक्रेता आकर्षित होते हैं। यह बदलाव न केवल वॉलमार्ट के लिए बल्कि चीन से दूर विविधीकरण की समग्र प्रवृत्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत से बढ़ता आयात:-
वॉलमार्ट वर्तमान में भारत से सालाना 3 बिलियन डॉलर का सामान आयात करता है, जो देश के कुल सामान आयात का 0.6% है। खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी की भारत से अपने वार्षिक आयात को 10 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना है, जो भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए पर्याप्त बढ़ावा को दर्शाता है। वॉलमार्ट की सोर्सिंग रणनीति में यह बदलाव भारत के स्थानीय उद्योग को मजबूत करने में योगदान देता है। भारत से वस्तुओं की बढ़ती मांग देश के विनिर्माण क्षेत्र और रोजगार के अवसरों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है। भारत से वॉलमार्ट ने तक़रीबन 25% सामान आयातित किया है। जो वर्ष 2018 में महज 2% दर्ज किया गया था, यानी ये बीते 5 सालों में लगभग 10 गुना की वृद्धि है।
व्यापक रुझान: अमेज़ॅन, Apple, और बहुत कुछ:-
बता दें कि, वॉलमार्ट एकलौती कंपनी नहीं है, जिसने चीन से अपना रुख भारत की तरफ शिफ्ट किया हो। अमेज़ॅन और Apple भी भारत में अधिक से अधिक विनिर्माण का लक्ष्य रख रहे हैं। विशेष रूप से, Apple ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहले 6-7 महीनों में ही 5 बिलियन डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात करके सफलता देखी है।
सरकार का 'मेक इन इंडिया' पर जोर
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल इस प्रवृत्ति के अनुरूप है, जो कंपनियों को भारत में अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। प्रधानमंत्री एक वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की क्षमता पर जोर देते हैं, जिसका लक्ष्य बढ़े हुए निर्यात के माध्यम से आर्थिक विकास करना है। वॉलमार्ट की सोर्सिंग रणनीति का पुनर्गठन वैश्विक बाजार में भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। विदेशी कंपनियां देश की आर्थिक क्षमता और विनिर्माण क्षेत्र में चीन के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में इसकी भूमिका को पहचान रही हैं।
जैसे-जैसे वॉलमार्ट चीन से अपनी सोर्सिंग दूर कर रहा है, भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। यह बदलाव न केवल भारत के निर्यात को लाभ पहुंचाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य में देश के बढ़ते महत्व को भी उजागर करता है।
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