नई दिल्ली: मोदी सरकार में सरकारी कंपनियों को प्राइवेट हाथों में देने की होड़ मची हुई है। रेलवे के कुछ हिस्सों, बिजली कंपनियों और कुछ हवाई अड्डों को निजी हाथों में देने के बाद अब मोदी सरकार सरकारी जिला अस्पतालों को प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। यदि सरकार की यह योजना लागू हो जाती है तो निजी व्यक्ति या संस्थान मेडिकल कॉलेज की स्थापना और उसका संचालन करने के लिए भी जिम्मेदार होंगे।
इसके साथ ही इन मेडिकल कॉलेजों से सेकेंडरी हेल्थकेयर सेंटर को जोड़ा जा सकता है। ये सेंटर भी प्राइवेट हाथों से नियंत्रित होंगे। थिंक टैंक नीति आयोग ने पीपीपी मॉडल के तहत नए और वर्तमान के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से जिला अस्पतालों को जोड़ने की योजना को लेकर 250 पन्नों का दस्तावेज जारी किया है। इस दस्तावेज के माध्यम से इस योजना में दिलचस्पी लेने वाले लोगों के प्रतिक्रिया मांगी गई है। खबरों की मानें तो जनवरी के अंत तक इस योजना में शामिल होने वालों की एक बैठक की तारीख निर्धारित की गई है।
इस नई योजना के अनुसार, जिला अस्पतालों में कम से कम 750 बेड होने चाहिए। 750 बेडों में से आधे मार्केट बेड मरीजों के लिए और बाकी रेग्यूलेटेड बेड के तौर पर होंगे। मार्केट बेड यानि, मरीजों के लिए बेड का मूल्य बाज़ार आधारित होगा, जिसका लाभ रेग्यूलेटेड बेड में छूट के रुप में मिलेगा।
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