नई दिल्ली: तीन तलाक के बाद एक बार फिर तलाक से संबंधित मुद्दा कानून की चौखट पर पहुंचा है। खबर है कि शीर्ष अदालत में तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाइन सहित न्यायिक दायरे से बाहर 'एकतरफा' तलाक के तरीकों को असंवैधानिक घोषित करने के लिए याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कई इस्लामिक राष्ट्रों में इन पर बैन लगा दिया गया है, मगर भारत में ये जारी हैं।
पति और ससुरालवालों की ओर से शारीरिक और मानसिक यातना का शिकार हुईं डॉक्टर सैयदा अमरीन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। उन्होंने अपनी याचिका में इस बात पर जोर दिया है कि ऐसी प्रथाएं न सिर्फ महिला की गरिमा के खिलाफ हैं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 में दिए गए मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करती हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किनाया शब्दों के माध्यम से तलाक-ए-किनाया/तलाक-ए-बाइन दिए जाते हैं। जिनका अर्थ है कि मैं तुम्हें आजाद करता हूं, अब तुम आजाद हो, तुम/यह रिश्ता हराम है, तुम अब मुझसे अलग हो आदि हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाइन और न्यायिक दायरे से बाहर तलाक के अन्य एकतरफा तरीके मानवाधिकार के आधुनिक सिद्धांतों और लैंगिक समानता से मेल नहीं खाते हैं।
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