मुंबई: उद्धव गुट को अभी के लिए सर्वोच्च न्यायालय से राहत नहीं प्राप्त हुई है। चुनाव आयोग के फैसले को अदालत ने बरकरार रखा है। यानी कि शिवसेना एवं धनुष बाण दोनों ही शिंदे गुट के पास ही रहने वाले हैं। ये भी कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा उद्धव गुट को जो टॉर्च एवं मशाल वाला चुनावी चिन्ह दिया गया था, वही आगे भी जारी रह सकता है। इसके अतिरिक्त अदालत ने दोनों उद्धव और शिंदे गुट को नोटिस भी जारी किया है।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया था। आयोग ने शिंदे गुट को ही असल शिवसेना माना था एवं धनुष-बाण वाला चिन्ह भी उन्हीं के पास गया था। उस फैसले को उद्धव गुट ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती थी, मगर अब वहां से भी अभी के लिए कोई राहत नहीं मिली है। चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा गया है।
बुधवार को सुनवाई के चलते उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि 21 जून से पहले पार्टी के भीतर किसी बात को लेकर असहमति या मतभेद नहीं था। असहमति की बात तब पता चलती है, जब ये लोग (शिंदे गुट) असम जाकर बयानबाजी करने लगते हैं। सिब्बल ने सवाल किया कि बागी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, बहुमत का आनंद लेते हैं। तथा फिर पाला बदल लेते हैं। सदन की सदस्यता किसी की निजी संपत्ति नहीं है, जो वह व्यापार करने में लग जाए? सुनवाई के चलते सिब्बल ने ये तर्क भी रखा था कि चुनाव आयोग के फैसले का आधार तो ये था कि लेजिस्लेटिव विंग में बहुमत परीक्षा हो सकती है। उन्हें उस ट्रेंड पर ही कई सवाल हैं। अब इस वक़्त उद्धव गुट के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। उन्हें नए सिरे से राजनीति आरम्भ करनी है, वो भी बिना शिवसेना के। सबसे बड़ी परीक्षा BMC चुनाव के तौर पर सामने आने वाली है जहां पर लंबे वक़्त तक शिवसेना का दबदबा रहा है। मगर इस बार क्योंकि शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास चली गई है, ऐसे में उद्धव को नए सिरे अपनी सियासी बिसात बिछानी होगी।
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