सरकार द्वारा चुनोती पर खरे उतरने से मौजूदा वर्ष में दलहन का रकबा बढ़ने, दालों का भंड़ारण बढ़ाने तथा विदेशों में दलहन की खेती कराने के प्रयासों से आने वाले समय में गरीब की रसोई में एक बार फिर ‘दाल गलने की उम्मीद नजर आ रही है. समाये के चलते गरीबों के घर की खाने की थाली से दाल की कटोरी ही गायब हो गई थी | सरकारी आंकड़ों के अनुसार सिर्फ ‘दाल-रोटी’ के लिए दिनभर कड़ी मेहनत करने वाले आम आदमी की थाली में एक बार फिर दाल की कटोरी आने की संभावना दिखाई दे रही है.
मौजूदा वर्ष में अभी तक 144.96 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई की गई है. गत वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 112.43 लाख हेक्टेयर रहा था. सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मूंग की खरीद करने का निर्णय लिया है.
उल्लेखनीय है कि कई वर्षों से मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता था परंतु खरीद नहीं होती थी. इस वर्ष महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने के प्रस्ताव आने पर कृषि मंत्रालय ने एक अक्टूबर से लागू होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को एक सितम्बर से लागू कर दिया है और बाजार में मूंग आने के कारण खरीद के आदेश जारी कर दिए हैं.