'अब 'सबका साथ, सबका विकास' की कोई जरूरत नहीं', बंगाल में बोले शुभेंदु अधिकारी

'अब 'सबका साथ, सबका विकास' की कोई जरूरत नहीं', बंगाल में बोले शुभेंदु अधिकारी
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आप (भाजपा नेता) सभी कहते हैं- 'सबका साथ, सबका विकास', लेकिन अब हम यह नहीं कहेंगे. अब हम कहेंगे 'जो हमारा साथ, हम उनके साथ...' सबका साथ, सबका विकास कहना बंद करो. अल्पसंख्यक मोर्चा की भी जरूरत नहीं है. 

अपने भाषण में शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा हिंदुओं और संविधान को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के बारे में बात करते हुए कहा कि अब "सबका साथ, सबका विकास" नहीं कहा जाएगा। शुभेंदु अधिकारी ने अपने बयान के अंत में "जय श्री राम" के नारे लगाए और उनके भाषण का कार्यकर्ताओं ने तालियों के साथ स्वागत किया। शुभेंदु अधिकारी ने "सबका साथ सबका विकास" पर अपनी आपत्ति को स्पष्ट करते हुए कहा कि चुनावों में हिंदुओं को वोट देने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि वे हिंदू हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिहादी उनके घर के सामने बैठे रहते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। उन्होंने कहा कि हमें तुरंत जागना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंदू क्षेत्रों में लोगों को वोट देने की अनुमति दी जाए।

आगे उन्होंने कहा कि चुनाव के दिन गुंडों को घर में बंद रखना चाहिए तथा केंद्रीय बलों को वोटर कार्ड देखने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल का संविधान खत्म हो गया है तथा इसे बचाने की आवश्यकता है। शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि बंगाल भाजपा अब हिंदू वोटरों पर ध्यान केंद्रित करेगी, क्योंकि मुस्लिम मतदाताओं ने TMC का समर्थन किया है जबकि हिंदू मतदाताओं में विभाजन देखा गया। पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 के आम चुनाव अभियान के चलते "सबका साथ, सबका विकास" का नारा दिया था। यह नारा भाजपा के चुनावी अभियान का मुख्य नारा बन गया था और इसका उद्देश्य सभी भारतीयों के समावेशी एवं समग्र विकास को बढ़ावा देना था। यह नारा भारत के सभी नागरिकों, विशेष रूप से पिछड़े एवं वंचित वर्गों के विकास और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं को TMC का मुख्य वोट बैंक माना जाता है। लेफ्ट एवं कांग्रेस भी इस समुदाय पर नजर रखते हैं। भाजपा ने भी इस समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास किए हैं, किन्तु परिणाम निराशाजनक रहे हैं। 2018 के बंगाल पंचायत चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किए थे तथा 850 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे, जिनमें से 27 ने जीत हासिल की थी। 2016 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। बंगाल में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जो 294 सीटों में से लगभग 100 पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2010 के बाद से मुस्लिम मतदाता TMC का मुख्य वोटबैंक माना जाता है। अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं का मानना है कि मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा भाजपा को रोकने के लिए वाम-कांग्रेस गठबंधन के बजाय TMC को प्राथमिकता देता आ रहा है।

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