काठमांडु। नेपाल ने पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए विदेशी पर्वतारोहियों के साथ गाइड लेकर जाना अनिवार्य कर दिया है। नये नियमों के तहत माउंट एवरेस्ट समेत सभी पहाड़ों पर पर्वतारोहियों के अकेले चढ़ने पर रोक लगा दी गयी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नये सुरक्षा नियमों के तहत कटे हाथ और पैर वाले और नेत्रहीन पर्वतारोही भी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई नहीं कर सकेंगे। पर्यटन अधिकारियों ने कहा कि पर्वतारोहण को सुरक्षित करने और इस दौरान होने वाली मौतों को कम करने के लिए कानून में संसोधन किया गया है। वर्ष 1920 से अब तक माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान 200 से ज्यादा पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकतर की मौत 1980 के बाद हुई है।
इस वर्ष एवरेस्ट की चढ़ाई का प्रयास करने वाले पर्वतारोहियों की रिकॉर्ड संख्या के साथ दुर्घटनाओं की संख्या भी काफी अधिक रही है। इस वर्ष अब तक छह पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। इसमें 85 वर्षीय मीन बहादुर शेरचान की एवरेस्ट फतेह करने वाले सबसे वद्ध व्यक्ति का खिताब फिर से अपने नाम करने की कोशिश में चढ़ाई के दौरान मौत हो गयी। इसके अलावा 'स्विस मशीन' के नाम से मशहूर स्विट्जरलैंड की पर्वतारोही उऐली स्टेक की भी एवरेस्ट के निकट की चोटियों पर अकेले चढ़ाई के दौरान मौत हो गयी थी।
सरकार के दोहरी विकलांगता वाले और नेत्रहीन पर्वतारोही के पर्वतारोहण पर रोक के निर्णय की कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं। अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान अपनी दोनों आंखे खो चुके हरि बुद्धा मागर ने फेसबुक पर सरकार के इस कदम को 'अन्यायपूर्ण' और 'भेदभावपूर्ण' बताया। उन्होंने कहा, "मंत्रिपरिषद का निर्णय चाहे जो हो मैं माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करुंगा। कुछ भी असंभव नहीं है।" प्रशासन को उम्मीद है कि इस नये नियम से नेपाल में पहाड़ी गाइड के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।
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